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प्रवचनसार-सप्तदशाङ्गी टीका अब सबुत्पादमनन्यत्वेन निश्चिनोति ---
जीवो भवं भविस्सदि गारोऽमरो वा परो भवीय पुग्यो । किं दबत्तं पजहदि ए जहं अण्णणो कह होदि ॥११२॥
जीद परिणाम घश, नृगुरादिक हो व अन्य पदमें हो। KAASHध्यत्वको सजता, तब फिर वह अन्य कैसे हो ॥ ११२ ॥ जीवो भवन भविष्यति नरोऽमरों वा परो भूत्वा पुनः । कि द्रव्यत्वं प्रजहाति न जहदन्यः कथं भवति ।।११।।
द्रयं हि तावद्व्यत्व भूतामन्त्रयशक्ति नित्यमयपरित्यजद्भवसि सदेव । यस्तु द्र पर्याय भूताया व्यतिरेक व्यक्तेः प्रादुर्भावः तस्मिन्नपि द्रव्यत्वभूताया अन्नय शक्ते रावनात् व्यमनत्यदेव । ततोऽनन्यत्वेन निश्चीयते द्रध्यस्य सदुत्पादः । तथाहि--जोत्रो द्रव्यं भवतार
नामसंजीव भक्त णर अमर वा पर पुणो कि दव्यत्त ण जहं अण्ण कहं । धातुसंज्ञ----भाव मलायां, जहा त्यागे, हो सत्तायां । प्रातिपदिक .. जीव भवत् नर अगर बा पर पुनर कि इत्यत्व न जहत अन्य का। मूलधातु- ओहाक त्यागे, भू सताया । उभयपदविवरण---जीवो जीव: णरो नरः अमरो अमरः परो पर: अपणो अन्यः-प्रथमा एकवचन । भवं भवन्-प्रथमा एक कृदन्त । भविस्सदि भविष्यति-भविष्य
हष्टि-१-- सर्वसामान्यनय (११)। २-- ऊर्वविशेषन य (२००)।
प्रयोग--जिस मुझने पहिले अज्ञानचेष्टा की वह मैं आज ज्ञानस्वरूपको निहार रहा ई पोर प्रागामी कालमें योग्य नरभव पाकर जिनदीक्षा ग्रहण कर निश्चयरलत्रय जाताजन्ता"नन्दमें तृप्त होऊँगा वह मैं एक प्रात्मद्रव्य हूँ अत्य नहीं, हो अज्ञान पर्याय अज्य है व रत्न. त्रयात्मक पर्याय अन्य है ऐसा जानकर सर्व पर्याय में गुजरने वाले एक चैतन्यस्वरूप अन्तस्तत्व की उपासना करना ।। १११ ॥
अब सत् उत्पादको सब पर्यायों में द्रव्यके अनन्यत्वके द्वारा निश्चित करते है-[जीवः] जीव भिवत् ] परिणमता हा निरः] मनुष्य, [अमरः] देव [वा] अथवा [परः] अन्य कुछ भिविष्यति] होगा, [पुनः] परन्तु [भूत्या] मनुष्य देवादि होकर [f] क्या वह [द्रष्यत्वं अजहाति द्रव्यत्वको छोड़ देता है ? [न जहत्] सो द्रव्यत्वको नहीं छोड़ता हुआ ब अत्यः कय भवति । अन्य कैसे हो सकता है ? RAM तात्पर्य--अपने अनेक पर्यायों में परिणमता हुआ दम द्रव्यत्वको न छोड़ने के कारण वह यही रहता है, अन्य नहीं हो जाता ।
टीकार्थ--द्रव्य तो द्रव्यत्वभूत सन्दय शक्तिको कभी भी न छोड़ता हा सत् हो है। पौर जो द्रव्य के पर्यायभूत व्यतिरेकव्यक्तिका उत्पाद है उसमें भी द्रव्धत्वभुत अन्वयशक्तिका मध्यतपना होनेसे द्रव्य अनन्य ही है, इसलिये अनन्यत्वके द्वारा द्रव्यका सलाद निश्चित
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