________________
H
सहजानन्दशास्त्रमालायां अथैवममूर्तस्याप्यात्मनो बन्धो भवतीति सिद्धान्तयति--
रूवादिएहिं रहिदो पेच्छदि जाणादि रूवमादीणि । दव्वाणि गगो य जधा तह बंधो तेण जागीहि ॥१७॥
रूपादिरहित प्रात्मा, रूपी मूर्तीक द्रव्य व गुणोंको।
देखता जानता ज्यौं, बन्धनको विधि भी क्यों जानो ॥१७४॥ रूपादिकै रहितः पश्यति जानाति रूपादीनि । द्रव्याणि गुणांश्च यथा तथा वन्धस्तन जानीहि ।।१४।।
येन प्रकारेण रूपादिरहितो रूपीणि द्रव्याणि तद्गुणश्च पश्यति जानीति च, तनंव प्रकारे रूपादिरहितो रूपिभि: कर्मपुद्गलः किल बध्यते । अन्यथा कथममुर्तो मूर्तं पश्यति जानाति चेत्यत्रापि पर्यनुयोगस्यानिवार्यत्वात् । न चैतदत्यातदुर्घटत्वाहाष्टान्तिकीकृतं, किंतु दृष्टान्तद्वारेरणा बालगोपालप्रकटितम् । तथाहि--यथा बालसाय गोपालकस्य वा पृथगवस्थित मृदुबलीव बलीवदं था पश्यतो जानतश्च न बली बर्देन सहास्ति संबन्धः, विषयभावास्थित. बलीवर्दनिमित्तोपयोगाधिरूढबलीवकारदर्शन ज्ञानसंबंधो बलीवर्दसंबधव्यवहारसाधकस्त्वस्त्येव, तथा किलात्मनो नोरूपत्वेन स्पर्शशून्यत्वान्न कर्मपुद्गलः सहास्ति संबन्धः, एकावयाहभावाव. स्थितकर्मपुद्गलनिमित्तोपयोगाधिरूढरागद्वेषादिभाव संबन्धः कर्मपुद्गलबन्धव्यवहारसाधकस्त्व. स्त्येव ॥१७४।।
नामसंज्ञ--स्वादिअ रहिद रूबमादि दव्य गुण य अधः तह बंध त । धातुसंज्ञ~-4 इक्ख दर्शने व्यक्तायां वाचि तृतीयगणी, जाण अवबोधने । प्रातिपदिक-संपादिक रहित रूपादि दब ग ण जधा नह बंध त । मूलधात...शिर दर्शने, ज्ञा अवबोधने । उभयपदविवरण--रूवादिएहि रूपादिक:-तृतीया बहु० । रहिदो रहित:-प्रथमा एक०। पेच्छृदि पश्यति जाणादि जानाति-वर्तमान अन्य पुरुष एकवचन किया। रुवमादीणि रूपादीनि-द्वि० बह० । दब्वाणि द्रध्याणि-द्वि० व० । गण गणान-द्वि००। य च जघा यथा तह तथा-अव्यय । बंधो बन्ध:--प्र० एक० । तेण तेन-तृतीया एक० । जाणीहि जानीहिआज्ञार्थ मध्यम पुरुष एकवचन किया । निरुक्ति---रूप्यते यः स रूपः ॥१७१।। निमित्त है ऐसे उपयोगमें भासित रागद्वेषादिभावोंके साथका संबंध कांपुद्गलोंके साथ के बंध रूप व्यवहारका साधक अवश्य है ।
प्रसंगविवरर---अनन्तरपूर्व गाथामें प्रश्न किया गया था कि स्निग्धपना व रूक्षपना होनेसे अमूर्त प्रात्माके बंध कैसे हो सकता है ? अब इस गाथामें उक्त प्रश्न का समाधान दिया गया है।
तथ्यप्रकाश--- (१) जैसे अरूपी प्रात्मा रूपी द्रव्यों और गुणोंको जान देख लेता है ऐसे ही अरूपी प्रात्मा रूपी कर्मपुद्गलोंसे बंध जाता है। (२) जैसे वास्तवमें बालक पृथक्
AMADHANAMANCHAHMEDABARRIA
म