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प्रवचनसार-सप्नदाङ्गो टीका
१६५ प्रय द्रव्यत्योत्पादव्ययध्रौव्याण्यनेकद्रव्यपर्यायद्वारेण चिन्तयति
पाडुब्भवदि य अण्णो पजाओ पजयो वयदि अण्णो । दब्बस्स तं पि दव्वं गोव पणा उप्पण्णा ॥ १०३ ॥
द्रव्यको अन्य परिणति, उपजे अरु अन्य परिणती बिनशे ।
द्रव्य वही का वह है, वह नहि उत्पन्न नष्ट हुपा ॥ १०३ ॥ प्रादर्भवति चान्यः पर्यायः पर्यायो व्येति अन्यः । द्रव्यय भषि द्रव्यं नैव प्रणष्टं नोत्पन्नम् ।। १०३ ।।
इह हि यया किलैकस्पगुकः समान जातीयोऽनेकद्रव्यपर्यायोविनश्यत्य न्यश्चतुराक: प्रजायते ते तु अयश्चत्वारो वा पुद्गला अविनष्टानुत्पन्ना एवावतिष्ठन्ते । तथा सर्वेऽपि समान
नामसंज- अण पज्जाअ पज्जब अण दम्ब पि देवश एवं पणट्रण उप्पण। धातसंच-पा आ.दुर भव सत्तायां, व्वय गती । प्रातिपदिक-अन्य पी पयंश अन्य द्रव्य अपि तत् द्रव्य न एव प्रनटन उत्पन्न । मूलधातु-व्यय मतौं । उभयपदविवरण–पाइभवति प्रादुर्भवति बयदि व्यकि--वर्तमान अत्य पुरुष एकवचन क्रिया । य च पि अपने-अध्यय । अमनो अन्यः पज्जाओ पर्यायः पज्जओ एपिः] कोई अन्य पर्याय [ध्येति नष्ट होता है: [तदपि फिर भी [द्रव्यं ] द्रव्य [प्रगष्टं म एवान तो नष्ट होता है, [उत्पन्न न] और न उत्पन्न होता है ।।
तात्पर्य-द्रव्यके पर्याय उत्पन्न व नष्ट होते हैं, द्रव्य उत्पन्न, नष्ट नहीं होता ।
टीकार्य-विश्वमें जैसे एक त्रि-अणुक समान जातीय अनेक द्रव्यपर्याय विनष्ट होती है और दूसरा चतुरणुक (समानजातीय अनेक द्रव्यपर्याय) उत्पन्न होता है; परन्तु वे तीन या चार पुद्गल परमाणु तो अविनष्ट और अनुत्पन्न हो रहते हैं । इसी प्रकार सभी समान जातोय नत्यपर्याय विनष्ट होते हैं और उत्पन्न होते हैं, किन्तु समानजातीय द्रव्य तो अविनष्ट और अनुत्पान ही रहते हैं । और, जैसे एक मनुष्यत्वस्वरूप असमानजातीय द्रव्य-पर्याय विनष्ट होता है और दूसरा देवत्वस्वरूप (असमानजातीय द्रव्यपर्याय) उत्पन्न होता है, परन्तु वह जीव और पुद्गल तो अविनष्ट और अनुत्पन्न ही रहता है, इसी प्रकार सभी असमानजातीय द्रव्य. पर्याय विनष्ट हो जाती हैं और उत्पन्न होती हैं, परन्तु असमान भातीय द्रव्य तो अविनष्ट और अनुत्पन्न ही रहते हैं। इस प्रकार स्वद्रव्यत्वसे ध्र व और द्रव्यपर्यायों द्वारा उत्पाद-व्ययरूप हुए द्रव्य उत्पाद व्यय-धोव्य हैं। /
प्रसंगविवरण-अनन्तरपूर्व गाथा में उत्पादादिका क्षणभेद निराकृत करके द्रव्यत्व मट किया गया था। अब इस गाथामें अनेकद्रव्यपर्यायरूपसे द्रव्यके उत्पाद व्यय ध्रौव्योंका विहार किया गया है।
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