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सहजानन्दशास्त्रमालायां
द्रव्यस्याभाको गुणो गुणस्याभावो द्रव्यमित्येवंलक्षणोऽभावोऽतभाव, एवं सत्येकद्रव्यस्यानेकत्वमुभयशून्यत्वमपोहरूपत्वं वा स्यात् । तथाहि-यथा खलु चेतनद्रव्यस्याभावोऽचेतनद्रव्यमचेतनद्रव्यस्याभावश्चेतनद्रव्यमिति तयोरनेकत्वं, तथा द्रव्यस्याभावो गुणो गुणस्याभावो द्रव्यमित्येकस्यापिद्रव्यस्यानेकत्वं स्यात् । यथा सुवर्णस्याभावे सुवरणत्वस्योभावः सुवर्णत्वस्याभावे सुवर्णस्याभाव इत्युभयशून्यत्वं, तथा द्रव्यस्याभावे गुणस्याभावो गुणस्याभावे द्रव्यस्याभाव इत्युभयशून्यत्वं स्यात् । यथा पटाभावमात्र एव घटो घटाभावमात्र एव पट इत्युभयोरपोहरूपत्वं तथा द्रव्याभाव मात्र एव गुणो गुणोभावमात्र एव द्रव्यमित्यत्राप्यपोहरूपत्वं स्यात् । ततो द्रव्यगुणयोरेकत्वमशन्यत्वमनपोहत्वं चेच्छता यथोदित एवातद्भावोऽभ्युपगन्तव्यः ।।१०८॥ जं यत् दव्वं द्रव्यं त तत् गुणो गुणः जो यः गुणो गुणः सो सः तच्चं तत्त्वं एसो एषः अतब्भावो अतद्भावः अभावो अभाव:-प्रथमा एकवचन । अत्थादो अर्थात्-पंचमी एकवचन । णिट्टिो निर्दिष्ट:-प्रथमा एकवचन कृदन्त क्रिया । ण न वि अपि हि एव त्ति इति-अव्यय । निरुक्ति-द्रवति गच्छति पर्यायात् इति द्रव्यम् । समास-न तस्य भावः अतद्भावः ।।१०८।। का अभाव हो जायगा; इस प्रकार उभयशून्यता हो जायगी । जैसे पटाभावमात्र ही घट है, घटाभावमात्र ही पट है, इस प्रकार दोनोंके अपोहरूपता है, उसी प्रकार द्रव्याभावमात्र ही गुण और गुणाभावमात्र ही द्रव्य होगा; इस प्रकार इसमें भी अपोहरूपता आ जायगी, इस कारण द्रव्य और गुणका एकत्व, अशून्यत्व और अनपोहत्व चाहने वालेको यथोक्त ही अतद्भाव मानना चाहिये।
प्रसंगविवरण-अनंतरपूर्व गाथामें अतद्भावका विवरण किया था। अब इस गाथामें बताया गया है कि अतद्भावका सर्वथा अभाव लक्षण नहीं है ।
... तथ्यप्रकाश-(१) जो द्रव्य है वह गुण नहीं, जो गुण है वह द्रव्य नहीं इस प्रकार द्रव्यका गुणरूपसे न होना, गुणका द्रव्यरूपसे न होना अतद्भाव कहलाता है । (२) द्रव्य और गुणके लक्षणमात्रसे ही उनमें अन्यपनेका व्यवहार है । (३) द्रव्य का प्रभाव गुण हो या गुण का अभाव द्रव्य हो इस प्रकारके अभावका नाम अतभाव नहीं । (४) यदि द्रव्यके अभावको गुण व गुणके प्रभावको द्रव्य कहा जाय तो उनका एकत्व न रहेगा अनेकपना हो जावेगा जैसे कि चेतन द्रव्यका अभाव अचेतनद्रव्य व अचेतनद्रव्यका प्रभाव चेतनद्रव्य है सो यहाँ अनेकपना है। (५) यदि द्रव्यका अभाव होनेपर गुणका प्रभाव व गुणका प्रभाव होनेपर द्रव्यका प्रभाव माना जाय तो दोनों ही न रहेंगे जैसे कि सुवर्णका अभाव होनेपर सुवर्णपनेका प्रभाव व सुवर्णका अभाव होनेपर सुवर्णपनेका अभाव दोनों ही न रहे । (६) यदि द्रव्यका प्रभाव मात्र ही गुण व गुणका अभावमात्र ही द्रव्य माना जाय तो मात्र अपोहरूपता रही, तत्त्व