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प्रवचनसार-सप्तदशाको टीका
१६१ र प्रतिभाति । पर्यायास्तूत्पादव्ययम्रोव्यरालम्ब्यन्ते उत्पादध्यरध्रौव्याणामंशधर्मत्वात् बीजांकुरपादपत्ववत् । यथा किलाशिनः पादपस्य बीजांकुरपादपत्वलक्षणास्त्रयोंऽशा भंगोत्पाद ध्रौव्यलक्षगरात्मधमैरालम्बिता: सममेव प्रतिभान्ति, तथाशिनो द्रव्यस्योच्छिद्यमानोत्पद्यमानावतिष्ठमानभावलक्षणास्त्रयोऽशा भङ्गोत्पादनीव्यलक्षरगरात्मधर्म रालम्बिता: सममेव प्रतिभान्ति । यदि पुनर्भङ्गोत्पादनोव्याणि द्रव्यस्यवेष्यन्ते तदा समग्रमेव विप्लबते । तथाहि भंगे तावत् क्षणभङ्गकटाक्षितानामेकक्षण एव सर्व द्रव्याणां संहरणाद्रव्य शून्यतावतारः सदुच्छेदो वा । उत्पादे तु प्रतिसमयोत्पादमुद्रिताना प्रत्येक द्रव्यारामानन्त्यमसदुत्पादो वा । नीव्ये तु क्रमभुवां भावानामभावाद्रव्यस्याभावः क्षणिकत्वं वा । अत उत्पादव्ययध्रीन्यैरालम्ब्यता पर्यायाः पर्यायश्च द्रव्यमालम्व्यतां, येन समस्लमप्येतदेकमेव द्रव्यं भवति ।।१०१॥ सप्तमी एक० हि णियद नियतं-अव्यय । संति सन्ति--व० अ० ब० किया । तम्हा तस्मात्-पंचमी एकः । दव द्रव्यं सव्वं सर्वप्रथमा एक० । हवदि भवति-व० अ० एक क्रिया | निशक्ति-स्थानं स्थितिः, भंजन भगः समास-उत्पादः स्थितिः भगश्चेति उत्पादस्थितिभंगाः ||१०॥
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और अवस्थित रहने वाला भाव;-ये तीनों अंश व्यय-उत्पाद नोव्यस्वरूप निजधर्मों के द्वारा प्रालम्बित एक साथ ही भासित होते हैं । यदि व्यय, उत्पाद और श्रीब्यको (अंशोंका न मानकर) द्रव्यका हो माना जाय तो सारी गड़बड़ी हो जायगी । जैसे—(१) सचमुच यदि व्यय द्रव्यका ही माना जाय तो क्षणभंगसे लक्षित समस्त द्रव्यों का एक क्षणमें ही व्यय हो जानेसे द्रव्यशून्यता आ जायगी, अथवा सत्का उच्छेद हो जायगा । (२) यदि उत्पाद द्रव्यका माना जाय तो समय-समयपर होने वाले उत्पादके द्वारा चिह्नित द्रव्यों को प्रत्येकको अनन्तता प्रा जायगी अथवा असत्का उत्पाद हो जायगा; (३) यदि ध्रौव्य द्रध्यको हो माना जाय तो क्रमशः होने वाले भावोंके अभावके कारण द्रव्यका अभाव हो जायगा, अथवा क्षणिकत्व आ जायगा । इस कारण उत्पाद-व्यय-प्रोन्यके द्वारा पर्याय प्रालम्बित हों, और पर्यायोंके द्वारा द्रव्य पालम्बित हो, क्योंकि वह सब भी यह एक ही द्रव्य है ।
- प्रसंगविवरण--अनन्तरपूर्व गाथामें उत्पादव्ययभ्रीव्योंका परस्पर अविनाभाव दृढ़ । किया गया था । अब इस गाथामें उत्पादादिकोंकी द्रव्यसे अभिन्नता बताई गई है। । तथ्यप्रकाश--(१) उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य पर्यायोंसे बालम्बित हैं । (२) पर्यायें सब द्रव्य के प्राश्रय हैं । (३) उत्पादव्ययध्रौव्य समस्त ही यह एक द्रव्य है द्रव्यान्तर (अन्य अन्य द्रव्य) नहीं है । (४) पर्यायसमुदायात्मक द्रव्य पर्यायोंसे प्रालम्बित है, क्योंकि समुदायी सम. । दायात्मक होता है। (५) पर्याय उत्पाद व्यय प्रौव्यसे आलम्बित हैं, क्योंकि उत्पाद व्यय
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