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सहजानन्दशास्त्रमालाया
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अथ सर्वथा स्थपरविवेकसिद्धिरागमतो विधातव्येत्युपसंहरति -.
तम्हा जिणमग्गादो गुणेहिं आदं परं च दब्बेसु । अभिगच्छदु गिम्मोहं इन्छदि जदि अप्पणो अप्पा ॥६॥
इससे जिनशासनसे, नियत गुणोंसे स्व पर पदार्थों में ।
___ जानो स्वतंत्रता यदि, अपनी निर्मोहता चाहो ॥ तस्माञ्जिनमागांदगण रात्मानं पर च द्रव्येषु । अभिगच्चतु निमोहमिच्छति बद्यात्मन अात्मा ।। ६० ।।
इह खल्वागमनिगदितेवनन्तेषु गुरणेषु कश्चिद्गुरारन्ययोगध्यवच्छेदकतयासाधारणतामुपादाय विशेषतामुपगतैरनन्तायो द्रव्यसंतती स्वपरविवेक मुपगच्छन्तु मोहाहाणप्रवणबुद्धयो: लब्धवाः । तथाहि-यविदं सदकारातया स्वतः सिद्धमन्तबंहिमुखप्रकाशशालितया स्वपरपरि. च्छेदक मदीयं मम नाम चैतन्यमहमनेन तेन समानजातीयमसमानजातीयं बा द्रव्यमन्यदपहाय
नामसंज..... जिणभमा गण अत्त परं च दब्ध णिम्मोह जदि अप्प | धातसंज्ञ-अभि गहु गतो, इन्छ इच्छाययं । प्रातिपदिक---तम जिनमार्ग गुण आत्मन् पर 'च द्रव्य निहि यदि आत्मन् । मूलधातु'अभि गम्ल गती, इषु इच्छायां । उभयपदविवरण ---तन्हा तस्मात्-पंचमी एक । जिगमग्गादो जिनमा
मोहका क्षय होनेपर केवलज्ञानादि अनन्त चतुष्टयका लाभ होता है, पश्चात् सिद्धावस्थाका लाभ होता है । (४) स्वपरविवेक सम्यग्दृष्टि के होता है। (५) सम्यग्दृष्टि अपने प्रात्माको स्वकीय चैतन्यात्मक द्रव्यत्व से युक्त मानता है। ( ६ ) सम्यग्दृष्टि पर-यात्माको परकीय चतन्यात्मक द्रव्यत्व से युक्त मानता है । (७) सम्पदृष्टि अचेतन पदार्थों को अचैतन्यात्मक उन उनके प्रसाधारण स्वरूपसे युक्त मानता है। (८) स्वपरविवेकबलसे ज्ञात यथार्थ स्वरूपके अवलोकनसे मोहापदा विनष्ट होती ही है । (6) स्वपर विवेक के लिये पौरुष करना श्रेयस्कर है।
सिद्धान्त---(१) स्वपरविवेक द्वारा उपलब्ध शुद्धात्मस्वरूपके अवलोकनसे शुद्धात्मस्वरूपका विकास होता है ।
दृष्टि-१-- ज्ञा प्रयोग..... सकल मोहसंकटविनाशके लिये स्वपरयिवेकका प्रयत्न करना ।।६
अब सब प्रकारसे स्वपरके विवेकको सिद्धि प्रागमसे करने योग्य है, ऐसा उपसंहार करते हैं- [तस्मात् ] इस कारण यदि] यदि [प्रात्मनः] अपना [आत्मा] प्रात्मा [निमोह] निर्मोह भावको [इच्छति] चाहता है तो [जिनमार्गात् ] जिनमार्गसे [गुरगा] गुणों के द्वारा [द्रव्येषु द्रव्यों में [प्रात्मानं परं च] स्वको और परको [अभिगच्छतु] जाने ।
तात्पर्य-यदि अपनेको निर्मोह रखना चाहें तो सवका भिन्न-भिन्न आकान्तरसत्व समझकर स्व व परको भिन्न-भिन्न जानें।
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