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सहजानन्दशास्त्रमालायां
कान्तेनोपयोगविशुद्धतया परित्यकपरद्रव्यालम्बनोऽग्निरिवायःपिण्डादननुष्ठितायःसारः प्रचण्ड. घनघातस्थानीय शारीरं दुःखं क्षपति, ततो ममाय मवेकः शरणं शुद्धोपयोगः ॥ ७ ॥ विशुद्धः सो सः-प्रथमा एकवचन । दवेसु द्रव्येषु-सप्तमी बहु०। राग दोस द्वेषं दुहब्भवं देहोदभव दुक्ख दुःख-वि० mast निरुक्ति.... अति गति पर्यायानिति द्रा, रंजन रागः, द्वेषणं द्वेषः (द्विष अप्रीती), दुःखयनं दुःखं । समास (विदितः अर्थः येन सः विदितार्थ उपयोगेन विशुद्धः उपयोगविशुद्धोदिहे उद्भवं देहोदभवम् ।।८।। · का अनुसरण न करने वाली अग्निको भौति प्रचंड घनके प्राधात समान शारीरिक दुःख का क्षय करता है। इस कारण मेरा यहो एक शुद्धोपयोग शरण है ।
प्रसंगविवरण- अनन्तरपूर्व गाथामें पुण्य पापको अविशेष बताते हुए शुभोपयोग कथनका उपसंहार किया गया था। अब इस गाथामें बताया गया है कि शुभोपयोग व अशु. भोपयोगके प्रविशेषपनेका प्रवधारण करने वाला भव्य रागद्वेषको हटाता हुप्रा समस्त दुःखक्षय के लिये दृढ़ निश्चय करता हुप्रा शुद्धोपयोगको अङ्गीकार करता है ।
तथ्यप्रकाश -... ( १) शुभ व अशुभ भावों में प्रविशेषता वही भव्य जानता है जो वस्तु. स्वरूपको सम्यक् जानता है । (२) वस्तुस्वरूपका ज्ञानी समस्त सपर्याय द्रव्योंमें राग द्वोषका परिहार कर देता है। (३) रागद्वेषपरिहारी ज्ञानी परद्रव्यका पालम्बन छूट छाने शारीरिक दुःखका वेदन नहीं करता । (४) प्रात्माका एक यही शुद्धोपयोग शरण है। (५) लोहेका संग न करने वाली अग्निको धन घातके प्रहारका प्रश्न ही नहीं उठना । (६) शरीरका संग न करने वाले प्रात्माको शारीरिक दुःख होनेका प्रश्न ही नहीं उठता । (७) लोहेके सत्त्वको धारण न करने वाली अग्निपर प्रचण्ड धनके प्रहार नहीं होते । (८) परद्रव्यका मालम्बन न करने वाले प्रात्माको शारीरिक दुःखका वेदन नहीं होता ।
सिद्धान्त-~~-(१) रागद्वषारहारी स्वावलम्बी जीव शुद्धोपयोगको अङ्गीकार करता
दृष्टि----१- उपाध्यभावापेक्ष शुद्ध द्रव्याथिकनय (२४५), शुद्ध भावनापेक्ष शुद्ध द्रव्याथिकानय (२४५)।
प्रयोग---समस्त दुःख विनाशके लिये शुभ अशुभ उपयोगमें अविशेषता निरखकर समस्त राग द्वषको दूर कर शुद्धोपयोगरूप होना ।। ७८ ॥
अब सर्व साबसायोगको छोड़कर चारित्रको प्रङ्गीकार करता हुमा भी यदि मैं शुभो. पयोगपरिणतिके वश होकर मोहादिका उन्मूलन न करू तो मेरे शुद्ध नात्माका लाभ कहांसे होगा ? इसलिये मोहादिके उन्मूलन के लिये सर्व उधमपूर्वक उठता है-[पापारम्भ] पापा