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था और अनेकप्रकारकी शोभाओंसे अत्यंत सुशोभित था । कामिनी स्त्रियोंके फँसानेके लिये ज़ालके समान उसकी दोनों भुजाएँ ऐसी जान पड़ती थी मानों याचकोंको अभीष्ट दानकी देनेवाली दो मनोहर कल्पवृक्षकी शाखा ही हैं। उस के कटिरूपी वृक्षपर, करधनीमें लगी हुई छोटी २ घंटियोंके व्याजसे शब्द करता हुवा, कामदेव सहित, करधनी रूपी महासर्प निवास करता था । श्रेणिकके शुभ आकृतिके धारक, अनेकप्रकारके उत्तमोत्तम लक्षणोंसे युक्त, और अतिशय कांतिके धारण करने वाले, दोनों चरण अत्यंत शोभित थे । तथा उस पुण्यात्मा एवं भाग्यवान कुमार श्रेणिकके अतिशय मनोहर शरीररूपी महलमें संपत्तिके साथ विवेक वढ़ता था, और अनेकप्रकारकी राजसंबंधी कलाओंके साथ ज्ञान वृद्धिको प्राप्त होता था । यद्यपि कुमार श्रेणिक वालक था तथापि बुद्धिकी चतुराईसे वह बड़ा ही था और सजनोंका मान्य था वह हर एक कार्यमें चतुर, और सौभाग्य बुद्धि आदि असाधारण गुणोंका भी आकर था । इसने बिना परिश्रमके शीघ्र ही शास्त्ररूपी समुद्रको पार करलिया था और क्षत्रिय धर्मकी प्रधानताके कारण अनेक प्रकारकी शस्त्रविद्याएं भी सीखलीं थीं। तथा भाग्य शाली जिसवालक श्रेणिकके अनेक प्रकारके गुणोंसे मंडित उत्तम ज्ञान; बुद्धिसे भूषित था, उसके हाथ दानसे शोभित थे । इसप्रकार यौवन अवस्थाको प्राप्त, अत्यंत वलवान
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