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( २०५ ) अनर्थ कर बठते हैं। महाराज श्रेणिकने मदोन्मत्त हो चट ऐसा काम कर पाडा। इसलिये उन्हें इसप्रकारका कष्टप्रद आयुबंध बंध गया । ____ज्योंही मुनि यशोधरको यह बात मालूम हुई कि मेरे गलेमें सर्प डाल दिया है । उन्होंने तो अपनी ध्यान मुद्रा
और भी अधिक चढादी । और महाराज श्रेणिक वहांसे चलदिये । एवं नो जो काम उन्होंने वहां किन थे । अपने गुरुओंसे आकर सब कह सुनाये।
श्रेणिक द्वारा एक दिगंबर गुरूका ऐसा अपमान सुन बौद्ध गुरुओंका अति प्रसन्नता हुई। वे बारबार श्रेणिककी प्रशंसा करने लगे । किं तु साधू होकर उनका यह कृत्य उत्तम न था। साधुका धर्म मानापमान सुखदुःखमें समान भाव रखना है। अथवा ठीक ही था यदि वे साधू होते तो वे साधु
ओंके धर्म जानते। किंतु यहां तो वेष साधुकां था। आत्माके साथ साधुत्वका कोई संबंध न था।
इसप्रकार तीन दिन तक तो महाराज इधर उधर लापता रहै । चौथे दिन वे रानी चेलनाके राजमंदिरमें गये । जो कुछ दुष्कृत्य वे मुनिके साथ कर आये थे सारा रानीसे कह सुनाया
और हंसने लगे। ___महाराजद्वारा अपने गुरुका यह अपमान सुन रानी । । चेलना अवाक् रह गई । मुनि पर घोर उपसर्ग जान उसकी
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