________________
-
(३६७ ) | वर्षा करैगा । माताकी सेवाके लिये इंद्रकी आज्ञासे छप्पन कुमारी आकर माताकी सेवार्थ आवेंगी और राजा महापद्मको नमस्कार कर राजमहलमें प्रवेश करेंगी।
किसीसमय कमलनेत्रा रानी सुंदरी शयनागारमें अपनी मनोहर शय्यापर शयन करेंगी अचानक ही वह रात्रिके पिछले प्रहरमें ये स्वप्न देखेगी । १ जिससे मद चू रहा है ऐसा सफेद हाथी, २ उन्नत स्कंधका धारक नाद करता हुआ बैल, ३ हाथीको विदारण करता बलवान केहरी, ४ दुग्धसे स्नान करती लक्ष्मी, ५ अमरोंसे व्याप्त उत्तम दो माला, ६ संपूर्ण चंद्रमा, ७ अंधकारका नाशक प्रतापी सूर्य, ( जलमें किलोल करतीं दोमछ. लियां, ९ दो उत्तम घड़े, १० अनेक पद्मोंसे व्याप्त सरोवर, ११ रल मीन आदिसे युक्त विशाल समुद्र, १२ मणिजड़ित सोनेका सिंहासन, १३ अनेक देवांगनाओंसे शोभित सुरविमान, ११ नागेंद्रका घर, १५ रत्नोंका ढेर, १६ और निघूमवन्हि । तथा उन्नत देहका धारक पवित्र किसी हाथीको अपने मूखमें प्रवेश करते भी वह सुंदरी देखेगी । प्रातःकालमें वीणा ढका शंख आदिके शब्दोंसे और मागधोंकी स्तुतिके साथ रानी पलंगसे उठाई जायगी और शय्यासे उठते समय वह प्राची दिशासे जैसा सूर्य उदित होता है वैसी शोभा धारण करेगी। महाराणी उठकर स्नान करैगी और शिरपर मुकुट, कंठमें ललित हार, हाथों में कंकण, भुजाओंमें बाजूबंध, कानों में कुंडल, कमरपर
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com