Book Title: Shrenik Charitra Bhasha
Author(s): Gajadhar Nyayashastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 396
________________ ( ३७५ ) नेत्रोंसे शोभित भगवानको पिताके सुपुर्द करेगा । मेरुपर्वतपर जो काम होगा इंद्र उस सबको भगवान के पिता महापद्मसे कहूँगा । पितामाता के विनोदार्थ इंद्र फिर नृत्य करेगा एवं भगवानको अनेक भूषण प्रदानकर और भगवानको भक्तिपूर्वक नमस्कार कर इंद्र समस्त देवों के साथ स्वर्ग चला जायगा । इस प्रकार समस्त देवों से पूजित भांति २ के आभरणयुक्त देहका धारक, अनेक गुणोंका आकर बालक पद्मनाभ दिनोंदिन बढ़ता हुआ पिता माताका संतोषस्थान होगा । पद्मनाभ अमृतसे परिपूर्ण अपने पाँव के अगूठेका चुसेगा और पवित्र देहका धारक शुभ लक्षणका स्थान वह कलाओंसे जैसा चंद्रमा बढ़ता चला जाता । वैसा ही शुभलक्षणों से बढ़ता चला जायगा | अतिशय पुण्यात्मा तीर्थंकर पद्मनाभके शरीरकी उचाई सात हाथ होगी और आयु ११६ एकसो सोलह वर्ष की होगी । तीर्थंकर पद्मनाभकी स्त्रीयां उत्तम अनेक गुणोंसे भूषित सुवर्णके समान कांति की धारक शुभ और यौवनकाल में अतिशय शोभायुक्त होंगी । भगवान ऋषभदेव के जैसे भरत चक्रवर्ती आदि शुभलक्षणों के धारक पुत्र हुए थे वैसेही तीर्थंकर पद्मनाभके भी चक्रवर्ती पुत्र होंगे। तीर्थंकर ऋषभदेव के ही समान तीर्थंकर पद्मनाभ राज्य करेंगे । नीतिपूर्वक प्रजाका पालन करेंगे और प्रजा वर्गको षटकर्म की ओर योजित करेंगे । तथा देश ग्राम पुर द्रोण आदिकी रचना करायगे । वर्णभेद और नृपवंशभेदका निर्माण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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