Book Title: Shrenik Charitra Bhasha
Author(s): Gajadhar Nyayashastri
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 387
________________ २५५ ) .. | करेंगे । कामीजनोंको वश करनेके लिये वे कामदेवके दो बाण कहलाये जायगे और अनेक शुभ लक्षणों के धारक होंगे । मीन शंख आदि उत्तमोत्तम गुणोंसे उसके दोनों चरण अत्यंत शोमित होंगे । और नखरूपी रत्नोंसे युक्त उसकी अंगुली | होंगी। विधाता सुंदरीका रुप तो अनेक उपायोंसे रचेगा और मुख चंद्रमासे, नेन कमलपत्रोंसे दांत मूगोंसे ओठ पके विवाफलोसे दोनों भुजा शाखाओंसे वक्षःस्थल सुवर्णतटोंसे दोनों स्तन सुवर्णकलशोंसे एवं दोनों चरण कमलपत्रोंसे बनावेगा । माता सुंदरी सरस्वतीके समान शोभित होगी क्योंकि सरस्वती जैसी सालंकृति अलंकारयुक्त होती है सुंदरी भी अनेक भाभरणोंसे युक्त होगी। सरस्वती जैसी सगुणा सर्वगुणयुक्त होती है उसीप्रकार सुंदरी भी सर्वगुणोंसे युक्त होगी । सरस्वती जैसी विदोषा दोष रहत होती है सुंदरी भी निर्दोष होगी। सरस्वती उत्तमरीतिसे देदीप्यमान होती है उसीप्रकार सुंदरी भी अतिशय सुडोल होगी। सरस्वती जैसी अनेकरसोंसे युक्त होती है सुंदरी भी लावण्ययुक्त होगी। सरस्वती जैसी शुभ अर्थयुक्त होती है सुंदरी भी अपने अवयवोंसे सुडोल होगी। माता सुंदरी गति से हथिनी जीतेगी और नयनसे मृगी, वाणीसे कोकिल, रूपसे रति एवं मुखसे चंद्रमा जीतेगी। भगवानके जन्मके छै मास पहिलसे जन्मतक पंद्रहमास पर्यंत कुबेर इंद्रकी आज्ञासे तीनोंकाल अमोघ रत्नोंकी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ___www.umaragyanbhandar.com

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