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करैगा । अयोध्याका परकोटा मनोहर किरणोंसे व्याप्त, मुक्ताफल
और भी अनेक रत्नोंसे निर्माण किया स्वर्गकी समताको धारण करैगा । और घर स्वर्गघरों के साथ स्पर्ध करेंगे। अयोध्याके घर विमानोंको जीतेंगे । मनुष्य देवोंको, स्त्रियां देवांगनाओंको, राजा इंद्रोंको और वृक्ष कल्पवृक्षोंको नीचा दिखायगे। अयोध्यामें रहनेवाली कामिनियोंके मुखसे चंद्रमंडल जीता जायगा । नखोंसे तारागण, मनोहर नेत्रोंसे कमल और गमनसे हाथी पराजित होंगे । अयोध्यापुरीके महलोंपर लगी ध्वजा चंद्रमंडलका स्पर्श करेंगी । अयोध्यापुरीका विशेष कहांतक वर्णन किया जाय ! जिनेंद्रके रहनेके लिये कुवेर इंद्रकी आज्ञासे उसै एक ही बनावेगा । और वहां अनेक राजाओंसे पूजित चौतर्फा अपनी कीर्ति प्रसार करनेवाले अतिशय पुण्यवान, चतुर, सुंदर, और सात हाथ शरीरके धारक कुलकर महापद्म रहेंगे । महापद्मकी प्रियभार्या सुंदरी होगी। सुंदरी अतिशय शरीरकी धारक, पद्मके समान सुंदर, रतिके समान होगी। उसके केश अतिशय देदीप्यमान और उत्तम होंगे। मुख कमलकी सुगंघिसे उसके मुखपर भोरे गिरेंगे। और उसके शिरपर रत्नजड़ित देदीप्यमान चूड़ामणि शोभित होगा । अतिशय तिलकसे युक्त उसका भाल अतिशय शोभाको धारण करैगा और वह ऐसा मालूम पड़ेगा मानों त्रिलोककी स्त्रियोंके विजयके लिये विधाताने एक नवीन यंत्र रचा हो । कानोंतक विस्तृत विशाल और रक्त उसके नेत्र होंगे। और वे पद्मदलकी शोभा धारण करेंगे।
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