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( ३६८ ) करधनी एवं पेरोंमें नूपुर पहनेगी । तथा अपने स्वामी राजा महापद्मके पास जायगी और सिंहासनपर उनके वामभागमें बैठिकर चित्तमें हर्षित हो इस प्रकार कहैगी
स्वामिन् ! रात्रिके पिछले प्रहर मैंने स्पन देखे हैं कृपाकर उनका जैसा फल हो वैसा आप कहैं । रानीके ऐसे वचन सुन राजा महापन इसप्रकार कहेंगे--
प्रिये ! मृगाक्षि ! जो तुमने मुझसे स्वप्नोंका फल पूछा | है मैं कहता हूं तुम ध्यानपूर्वक सुनो जिससे तुम सुख मिलेस्वप्नमें हाथीके देखनेका फल तो यह है कि तेरे पुत्ररत्न उत्पन्न होगा । बैलके देखनेका फल यह है कि वह तीनोंलोकमें अतिशय पराक्रमी होगा । तूने जो सिंह देखा है उसका फल यह है कि तेरा पुत्र अनंतवीर्यशाली होगा और दो मालाओं के देखनेसे धर्मतीर्थका प्रवर्तक होगा । जो तूने लक्ष्मीको स्नान करते देखा है उसका फल यह है कि मेरुपर्वत पर तेरे पुत्र को केजाकर देवगण क्षीरोदधिके जलसे स्नान करावेंगे। चंद्रमाके देखनेसे तेरा पुत्र समस्तजगत्को आनंद प्रदान करनेवाला होगा । सूर्यके देखनेका फल यह है कि तेरा पुत्र अद्वितीय कांतिधारक होगा । कुंभके देखनेसे अगाध द्रव्यका स्वामी होगा। मीनके देखनेसे तेरा पुत्र सुखका भंडार होगा और उत्तमोत्तम लक्षणोंका धारक होगा । समुद्र के देखनेका फल यह है कि तेरा | पुत्र ज्ञानका समुद्र होगा और जो तूने सिंहासन देखा है उससे
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