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तेरा पुत्र तीनों लोकके राज्यका स्वामी होगा । देवविमानोंके देखनेसे बलवान और पुण्यवान होगा। तूने जो नागेंद्रका घर देखा है उसका फल यह है कि तेरा पुत्र जन्मतेही अवधिज्ञानका धारक होगा | चित्रविचित्र रत्नराशी देखनेसे तेरा पुत्र अनेक गुणका धारक होगा । निर्धूम अभिके देखनेका यह फल है कि तेरा पुत्र समस्त कर्म नाश सिद्धपद प्राप्त करेगा । और तुने जो मुखमें हाथी प्रवेश करते देखा है उसका फल यह है कि तेरे शीघ्र पुत्र होगा । राजाके मुखसे ज्योंही रानी स्वमफल सुन हर्षित होगी त्योंही महान पुण्यका भंडार महाराज श्रेणिकका जीव नरककी आयुका विध्वंसकर रानी सुंदर के शुभ उदरमें जन्म लेगा | तीर्थकर महापद्मका आगमन अवधिज्ञानसे विचार देवगण अयोध्या आवेगे । तीर्थकरके मातापिताको भक्तिपूर्वक प्रणाम करेंगे । उन्हें उत्तमोत्तम वस्त्र पहनांयगे । भगवानका गर्भकल्याण कर सीधे स्वर्ग चले जांयगे और वहां समस्त पुण्यों के भंडार समस्त कर्म नाश करनेवाले भगवान तीर्थंकरकी कथा सुन आनंदसे रहेंगे । छप्पन कुमारियां माताकी भोजनादिसे भक्तिपूर्वक सेवा करेंगी । आज्ञानुसार माताका स्नपन विलेपन आदि काम करेंगी । कोई कुमारी माता के पैर घोयगी। कोई उनके सामने उत्तमोत्तम पुष्प लाकर घरैंगी । कोई माताकी देह से तेल मलैगी । कोई क्षीरोदधिजलसे माताको स्नान करायगी । कोई पूआ मांड लाडू खीर उर्द मूगके स्वाद दूध दही और भी भांतिके व्यंजन माताको देगी । कोई माता के भोजनार्थ उत्तमोत्तम भोजन बनानेके लिये उत्तमो - तम पात्र देगी । कोई २ माता की प्रसन्नता के लिये हावभावपूर्वक नृत्य करैगी । कोई माता की आज्ञानुसार वर्ताव करैगी और
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