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माननेवाले हैं वे कृतज्ञ कहे जाते हैं और सबलोग उनकी मुक्तकंठसे प्रशंसा करते हैं । प्यारे पुत्र ! पिता आदिका बंधन पुत्रके लिये सर्वथा अनुचित है महापापका करनेवाला है इसलिये तू अभी जा और अपने पिताको बंधन रहित कर । माताद्वारा इस प्रकार संबोध पा राजा कुणक मनमें अति खिन्न हुए । अपने दुष्कर्मकी वार२ निंदा कर वे ऐसा विचारने लगेहाय ! मुझ पापात्माने बड़ा निंद्यकाम करपाड़ा । हाय ! अब मैं इस महापापसे कैसे छुटकारा पाऊंगा ? अनेक हित करनेवाले पूज्य पिताको मैं अभी जाकर छुड़ाता हूं। इसप्रकार क्षण एक अपने मनमें विचार कर राजा कुणक महारानको बंधनमुक्त करने चल दिये । ज्योंही राजा कुणक कठेरेके पास पहुचे और ज्योंही क्रूरमूख राजा कुणकको महाराजने देखा देखते ही उनके मनमें यह विचार उठखड़ा
यह दुष्ट अभी पीड़ा देकर गया है अब यह क्या करना चाहता है जिससे मेरी ओर आरहा है ? पहिले यह मुझे बहुत संताप दे चुका है अब भी यह मुझे अधिक संताप देगा | हाय ! इस निर्दयीद्वारा दिया दुःख अब मैं सहार नहिं सकता । पस, इसप्रकार अपने मनमें अतिशय दुःखी हो शीघ्रही तलवार की धार पर शिर मारा । तत्काल उनके प्राणपखेरु घर उड़े और प्रथम नर्क में पहुंच गये । पिताको असिधारापर प्राणरहित देख राजा कुणकके होश उड़ गये 1
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