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( २५९ ) mmmm वदन पर कीमती भूषण वस्त्र थे । इसलिये मुझपर चोरोंकी दृष्टि पड़ी। वे शाधे मुझपर वाघसरखेि टूटपड़े । और मुझे कड़ी रीतिसे पकड़कर उन्होंने तत्काल अपने सरदार किसी भलिके पास पहुंचा दिया । चोराका सरदार वह भील बड़ा दुष्ट था ज्योही उसने मुझे देखा वह अति प्रसन्न हुआ।
और इसप्रकार कहने लगा। ____वाले ! तुझै जिसबातकी आवश्यकता हो कह मैं उसै करनेकेलिये तयार हूं । तू मेरी प्राणवल्लभा वनना स्वीकार करले । मैं तुझे अपने प्राणोंसे भी अधिक प्यारी रक्खूगा । तू किसीप्रकार अपने चित्तमें भय न कर । भिल्लपतिके ऐसे वचन सुन मैं भोंचक रहगई । किंतु मैंने धैर्य हाथसे न जाने दिया इसलिये मैंने शीघ्र ही प्रोढ़ किंतु शांतिपूर्वक इसप्रकार जवाब दिया---- ___ भिल्लसरदार ! आपका यह कथन सर्वथा विरुद्ध और मलिन है । जो स्त्रियां उत्तमवंशमें उत्पन्न हुई हैं। और जो मनुप्य कुलीन हैं कदापि उन्हें अपना शीलवूत नष्ट न करना चाहिये। आप यह विश्वास रक्खें जो जीव अपने शीलवूतकी कुछभी परवा न कर दुष्कर्म करपाड़ते हैं उन्हें दोनों जन्मोंमें अनेक दुःख सहने पड़ते हैं। संसारमें उनको कोई भला नहीं कहता ।
उससमय वह चोरोंका सरदार काम बाणसे विद्ध था ।
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