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भला वह धर्म अधर्मको क्या समझ सकता था । इसलिये तप्त लोहपिंडपर जलबूंद जैसी तत्काल नष्ट होजाती है- उसका नाम निशान भी नजर नहीं आता। वैसा ही मे रे वचनोंका भिल्लराजके चित्तपर जराभी असर न पड़ा वह, 'कबूतरी पर जैसा बाज टूटता है' एकदम मुझपर टूटपड़ा और मुझे अपनी दोनों भुजाओं में भरकर कामचेष्टा करनेकेलिये उद्यत होगया ।
जब मैंने उसकी यह घृणित अवस्था देखी तो मैं अपने पवित्र शीलवूतकी रक्षार्थ आसन बांधकर निश्चल बैठिगई मैंने उसकी ओर निहारा तक न । बहुतसमय तक प्रयत्न करनेपर भी जब उसपापीका उद्देश पूर्ण न हो सका तो वह आते कुपित होगया । उसने शीघ्र ही अपने साथियों के हाथ मु वेडाला और अपने क्रोधी शांति की ।
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उसके साथी भी परम दुष्ट थे ---- ज्योंही उन्होंने मुझे देखा देवांगना के समान परम सुंदरी जान वे भी कामबाणों से व्याकुल होगये । और बिना समझे बूझे मेरे शीलवूतका खंडन करना प्रारंभ करदिया । उससमय कोई वनरक्षिका देवी यह दृश्य देख रही थी इसलिये ज्योंही वे दुष्ट मेरे पास आये मारेडंडों के देवीने उन्हें ठीक करदिया । और वह मुझे अपने यहां लेई |
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भाई जिनदत्त ! यद्यपि मैं अतिशय पापिनी थी तोभी मैं अपने शीलवत में दृढ़ थी इसलिये उस भयंकर समयमें उस
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