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इंद्र इंद्राणीके समान सुख भोगने लगे और भोगोमें वे इतने लीन होगये कि उन्हें जाता हुआ काल भी न जान पड़ने लगा। ____बहुतकालपर्यंत भोगभोगने पर रानी चेलना गर्भवती हुई। उसके उदरमें सुषेणचर नामके देवने आकर जन्मलिया । गर्भमारसे रानी चेलनाका मुख फीका पड़ गया। स्वाभाविक कृशभी शरीर और भी कृश होगया। वचन भी वह धीरे २ बोलने लगगई गति भी मंद होगई । और आलस्यने भी उसपर पूरा २ प्रभाव जमा लिया।
गर्भवती स्त्रियों को दोहले हुवा करते हैं । और दोहलों से सन्तान के अच्छे बुरे का पता लगजाता है क्योंकि यदि संतान उत्तम होगी तो उसकी माताको दोहले भी उत्तम होंगे । और संतान खराब होगी तो दोहले भी खराब होंगे । रानी चेलनाको भी दोहले होनेलगे। चेलना के गर्भ में महाराज श्रेणिकका परमवैरी अनेकप्रकार कष्ट देनेवाला पुत्र उत्पन्न होनेवाला था इसलिये रानीको जितने भर दोहले हुए सव खराबही हुए जिससे उसका शरीर दिनदिन क्षीण होने लगा। प्राणपतिपर आगामी कष्ट आनेसे उसका सारा शरीर फीका पड़गया प्रातःकालम तारागण जैसे विच्छाय जानपड़ते हैं रानी चेलना भी उसी प्रकार विच्छाय होगई ।
किसी समय महाराज श्रेणिक की दृष्टि महाराणी चेलना पर पड़ी। उसे इसप्रकार क्षीण और विच्छाय देख उन्हें अति
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