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( २२७ ) अपने राजमंदिरकी ओर चल दिये । महाराजने जिन धर्मकी परम भक्त रानी चेलनाके साथ बड़े ठाटवाटसे राज मंदिरमें प्रवेश किया। और अपनी कीर्तिसे समस्त दिशोयें सफेद करनेवाले महाराज भले प्रकार जिन भगवानकी पूजा आराधना एवं उनके गुणों का स्तवन करते हुवे राज मंदिरमें रहने लगे।
कदाचित् बौद्ध साधुओंको इसबातका पता लगा कि महाराज श्रेणिकने किसी जैन मुनिके उपदेशसे जैन धर्म धारण कर लिया है । उनके परिणाम बौद्ध धर्मसे सर्वथा विमुख हो गये हैं । वे शीघ्र ही महाराज श्रेणिकके पास आये । और ऐसा उपदेश देने लगे।
प्रिय मगधेश ! यह बात सुननेमें आई है कि आपने बौद्ध धर्मका सर्वथा परित्याग कर दिया है। आप जैन धर्मके परम भक्त हो गये हैं ? यदि यह बात सत्य है तो आपने बडा अनर्थ एवं अविचारित काम कर पड़ा । हमैं संदेह होता है कि परम पवित्र, जीवोंको यथार्थ सुख देनेवाले, श्री बुद्ध देवके धर्म और यथार्थ तत्त्वाको छोडकर, निस्सार, जीवोंका अहितकारक जैनधर्म और उसके तत्त्वों पर आपने कैसे विश्वास कर लिया ? प्रजानाथ ! स्त्रियोंकी अपेक्षा बुद्धिबल मनुष्यका अधिक होता है । इसलिये सर्वथा संसारमें यही बात देखनेमें आती है कि यदि स्त्री किसी विपरीत मार्ग पर चलनेवाली हो तो चतुर पुरुष अपने बुद्धिबलसे उसै सन्मार्ग पर ले आते
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