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नत मस्तक हो, रानीने नमस्कार किया । एवं विनयसे वह इस प्रकार कहने लगी।
हे विगुप्तियों के पालक परमोत्तम मुनिराज! आप राजमंदिरमें आहारार्थ ठहरें। ____मुनि गुणसागरने ज्योंही रानीके वचन सुने शीघ्र ही उन्होंने अपनी तीन अंगुलिया दिखा दी। मुनिराजकी तीनों अंगुलिया देख रानी अति प्रसन्न हुई। उसने शीघ्र ही महाराजको अपने पास बुलाया । महाराजने आकर भक्ति भावसे मुनिराजको नमस्कार किया । आगे बढकर रानीने मुनिराजको काष्ठासन दिया । उनका पडिगाहन (प्रतिगृहीत ) किया । गरम पानीसे उनके चरण प्रक्षालन किये । एवं महाराज नत मस्तक हो उन्हें भोजनालयमें आहारार्थ ले गये । ____ महाराजकी प्रार्थनानुसार मुनिराज भोजानलयमें गये तो सही। किं तु ज्योंही वे वहां पहुंचे अधविज्ञानके बलसे शीघ्र ही उन्हें गढे हुवे हड्डी चामका पता लग गया। वे तत्काल ही यह कह कि राजन् ! तेरा घर अपवित्र है, वहांसे धर लोटे । और इर्यापथसे जीवोंकी रक्षा करते हुवे बनकी ओर चले आये।
चारो मुनिओंको इसप्रकार राजमंदिरसे विना कारण लोटा देख राजा श्रेणिक आदि समस्त जन हाहाकार करने लगे-मुसिओंका अलौकिक ज्ञान देख सब मनुप्योंके मुखसे
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