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मुझे पूछा कि हे मामा यह स्त्री बंधी हुई है कि खुली हुई है। उसीप्रकार आगे चलकर एक मरा हुवा मनुष्य मिला उसे देखकर फिर उसने पूछा कि यह आज मरा है अथवा पहिलेका ही मरा हुवा है ? । आगे चलकर अतिशय पके हुवे उत्तम धान्योसे व्याप्त एक क्षेत्र पड़ा उसे देखकर उसने यह कहा कि हे मामा इस खेतका मालिक इसके फलोंको खावेगा या खाचुका ? । इसोप्रकार हल चलाते हुवे किसी एक किसान को देखकर उसने पूछा कि इस हलपर हलके चलाने वाले कितने मनुष्य हैं ? । तथा आगे चलकर एक बेरीका वृक्ष पड़ा उसको देखकर उसने यह कहा कि हे मातुल इसमें कितने कांटे हैं इत्यादि उसके द्वाग किये हुवे अयोग्य, पूर्वापर विचार रहित प्रश्नोसे मुझै पूर्ण विश्वास है कि वह कुमार अवश्य पागल है।
पिताके मुखसे कुमार श्रेणिक द्वारा की हुई चेष्टाओंको सुनकर बुद्धिमती नंदश्रीने जवाव दिया कि हे पिता उस कुमार को,जो उपर्युक्त चेष्टाओसे आपने पागल समझ रक्खा है सो वह कुमार पागल नहीं है, किंतु वह अत्यंत चतुर एवं अनेक कलाओंमें निपुण है ऐसा नित्संशय समझिये क्योंकि-जो उस कुमारने आपको मामा कहकर पुकारा था उसका मतलब यह था कि संसारमें भानजा अत्यंत माननीय एवं प्रिय होता है इसलिये मामाके कहनेसे तो उस कुमारने आरके प्रेमकी आकांक्षाकी थी। तथा निहारथका अर्थ कथा कौतूहल है। कुमारने जो जिहारथ
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