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आप इस कार्यके लिये किसी वातकी चिंता न करें। आप धैर्य रखें । आपके इस विघ्नके दूरकरनेकेलिये मैं भी उपाय सोचता हूं। तथा ऐसा विश्वास देकर वे भी उस चिंताके दूरकरनेका स्वयं उपाय सोचने लगे। कुमारकी बुद्धि तो अगम्य थी । उक्त विघ्न के दूरकरनेकेलिये उन्हें शीघ्र ही उपाय सूझ गया।उन्होंने शीघूही ब्राह्मणों को बुलाया । और उनसे इसप्रकार कहाहे विप्रो ! तुम एक काम करो वीच गांवमें एक खंभा गढ़वाओं। उससे कहीं से लाकर एक वाघ बांधदो । जिससमय चरानेसे वकरा मोटा मालूम पड़े। धीरेसे उसे वाधके सामने लाकर खड़ा करदो । विश्वास रक्खो इसरीतिसे वह बकरा न बढ़ेगा और न घटेगा । कुमारकी युक्ति ब्राह्मणोंके हृदयमें जमगई । उन्होंने शीघूही कुमारकी आज्ञानुसार वह काम करना प्रारंभ करदिया। प्रथम तो वे दिनभर खूब बकरेको चरावें। और पश्चात् सामको उसै बाघके सामने लेजाकर खड़ा करदें। इसरीतिसे उन्होंने कई दिन तक किया । वकरा वैसे का वैसाही बना रहा। तथा जैसा राजगृह नगरसे आया था वैसाही ब्राम्हणोंने जाकर उसै महाराजकी सेवामें हाजिर करदिया.
विनके टलजाने पर इधर ब्राह्मणोंने तो यह समझा कि कुमारकी कृपासे हमारा विघ्न टलगया। हम वचगये। वे बारंबार कुमारकी प्रशंसा करने लगे। तथा कुमार अभयके पास आकर वे उनकी इसप्रकार स्तुति करनेलगे-हे दिव्यपुरुष ! हे पुण्यात्मन् ! हे समस्त
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