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विचारने लगे, बड़े खेदकी बात है कि इस नालायक चित्रकारने कुमारी चेलनाका गुप्त स्थान में स्थित चिन्ह कैसे जान लिया ? मैं नहीं जान सकता यह बात क्या होगई ? अथवा ठीक ही है स्त्रियोंका चरित्र सर्वथा विचित्र है । बड़े बड़े देव भी इसका पता नहीं लगा सकते । अखंड ज्ञान के धारक योगी भीत्रियों के चरित्रके पते लगाने में हैरान है । तब न कछ ज्ञानके धारक हम कैसे उनके चरित्रकी सीमा पासकते हैं ? | हाय मालूम होता है इस दुष्ट चित्रकारने भोली भाली कन्या चेलनाके साथ कोई अनुचित काम कर पाड़ा । कुलकों कलेकित करनेवाले इस दुष्ट भरतको अब शीघ्र ही सिंधु देशस निकाल देना चाहिये । अव क्षण भर भी इस विशालापुरी में रहने देना ठीक नहीं ।
इधर महाराज तो चित्रकार के विषय में यह विचार करने लगे। उधर चित्रकार को भी कहीं से यह पता लग गया कि महा राज चेटक मुझपर कुपित होगये हैं । मेरा पूरा पूरा अपमान करना चाहते हैं । वह शीघ्र ही मारे भयके अपना झोली डंडा ले वहांसे धर भगा । और कुछ दिन मंजल दरमजल कर राजगृह नगर आगया ।
राजगृह नगर में आकर उसने फिरसे चेलनाका चित्रपट बनाया | और बड़े विनयसे महाराज श्रेणिककी सभा में जाकर उसै मैंट कर दिया |
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