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तौरसे भगवानके सामने नृत्य भी करने लगे । और कभी उत्तमोत्तम शब्द करने वाले बाजे बजाना भी उन्होंने प्रारम्भ कर दिया । एवं कभी कभी कुमार त्रेसठिसलाका पुरुषोंके चरित्र वर्णनकरनेवाले पुराण बाचने लगे । जिससमय ये समस्त, भगवानकी पूजा स्तुति आदि कार्य करते थे । वरावर उनकी आवाज रनवांसमें जाती थी। राजमन्दिरकी स्त्रियां साफ रीतिसे इनके स्तोत्र आदिको सुनती थीं। और मनही मन इनकी भक्तिकी अधिक तारीफ करती थी।
किसीसमय महाराज चेटककी ज्येष्ठा आदि पुत्रियों के मनमें इसवातकी इच्छा हुई कि चलो इनको जाकर देखें । ये बड़े भक्त जान पड़ते हैं । प्रतिदिन भाव भक्तिसे भगवानकी पूजा करते हैं । तथा ऐसा दृढ़ निश्चय कर वे अपनी सखियोंके साथ किसीदिन कुमार अभय द्वारा बनाये हुवे चैत्यालय में गई । और वहां पर चमर चांदनी झालर घंटा आदि पदार्थोंसे शोभित चैत्यालय देख अति प्रसन्न हुई। तथा कुमार आदिको भगवानकी भक्तिमें तत्पर देख कहने लगी--- ____ आप लोग श्रीजिनदेवकी भक्तिभावसे पूजन एवं स्तुति करते हैं । इसलिये आप धन्य हैं । इस पृथ्वीतलपर आप लोगोंके समान नतो कोई भक्त दीख पड़ता और न ज्ञान वान एवं स्वरूपवान भी दीख पड़ता । कृपाकर आप कहैं--कोन तो आपका देश है ? कौन उस देशका राजा है ! वह किस
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