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( २०२ ) गुरुओंका वह ध्यान नहीं था । ध्यानके बहानेसे भोलेजीवोंको ठगना था । मोक्ष कोई ऐसी सुलभ चीज नहीं जो हर एकको. मिलजाय । यदि इस सरल मार्गते मोक्ष मिलजाय तो बहुत. जल्दी सर्वजीव सिद्धालयमें सिधार जाय । आप विश्वास रक्खे मोक्षप्राप्तिकी जो प्रक्रिया जिनागममें वर्णित है वही उत्तम और सुखप्रद है । नाथ! अव आप अपने चित्तको शांत करैं । और बौद्ध साधुओंको ढोगी साधू समझै । • रानीके इन युक्ति पूर्ण वचनोंने महाराजको अनुत्तर बना दिया । वे कुछ भी जवाब न दे सके। किंतु गुरुओंका पराभव देख उनका चित्त शांत न हुआ । दिनोंदिन उनके चित्तमें ये विचार तरंगे उठती रही कि इस रानीने बडा अपराध किया है । मेरा नाम श्रेणिक नहीं जो मैं इसे बौद्धधर्मकी भक्त और सेविका न वना दूं । आज जो यह जिनेंद्रका पूजन और उनकी भक्ति करती है सो जिनेंद्रके वदले इससे बुद्धदेवकी भक्ति कराऊंगा। तथा अशुभ कर्मके उदयसे कुछ दिन ऐसे ही संकल्प विकल्प वे करते रहे। ___कदाचित् महाराजको शिकार खेलनेका कौतूहल उपजा। वे एक विशाल सेनाके साथ शीघ्र ही बनकी ओर चलपडे । जिस वनमें महाराज गये उसीवनमें महामुनि यशोधर खड्गासनसे ध्यानारूढ थे । मुनि यशोधर परमज्ञानी, आत्मस्वरूपके भलेप्रकार जानकार, एवं परमध्यानी थे । उनकी आत्मा.
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