________________
सुखी रह सकेंगी । और न हमै निद्रा ही आवेगी। विशेष कहां तक कहाजाय महाराज श्रेणिकके वियोगमें अव हमैं संसार दुःखमय ही प्रतीत होने लगे गा।
कन्याओंके ऐसे लालसाभरे वचन सुन कुमार अति प्रसन्न हुवे । अपने कार्यकी सिद्धि जान मारे हर्षके उनका शरीर रोमांचित होगया । कन्याओंको आश्वासन दे शीघ्र ही उन्हें वहां से चपत किया । और अपने महलसे राजमंदिरतक कुमार ने शीघ्र ही एक सुरंग तयार करानेकी आज्ञा देदी ।
कुछ दिनवाद सुरंग तयार होगई । कुमारने सुरंगके भीतर अपने महलसे राजमहलतक एक रस्सी बंधवादी । और गुप्तरीतिसे कन्याओंक पासभी यह समाचार भेजदिया। __कुमारकी यह युक्ति देख कन्या अति प्रसन्न हुई । किसी समय अवसर पाकर उन तीनों कन्याओंने सुरंगसे जानेका पूरा पूरा इरादा करलिया । और वे सुरंगके पास आगई । किन्तु ज्योंही वे तीनों सुरंगमें घुसी सुरंगमें अबेरा देख ज्येष्ठा और चंदना तो एक दम घबड़ा गई । उन्होंने सोचा हमैं इसमार्गसे जाना योग्य नहीं । क्योंकि प्रथमतो इसमें गाढ़ अंधकार है। इसलिये जाना कठिन है । द्वितीय यदि हमारे पिता सुनेंगे तो हमपर अधिक नाराज होंगे । इसलिये ज्येष्ठा तो अपनी मुद्रिका का वहाना कर वहांसे लौट आई । और चंदना हारका मूढ़ा कर धर लौटी। अकेली विचारी चेलना रहगई उसको कुमारने
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com