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प्रशंसा करते हुवे महाराज शीघ्र ही उसके पास गये। और उसके मुखपर भी इसप्रकार प्रशंसा करने लगे ।
प्रिये ! आज तुम धन्य हो । गुरुओं के उपदेश से तुमने बौद्धधर्म धारण करने की प्रतिज्ञा करली । शुभे ! ध्यान रक्खो बौद्धधर्मसे बढ़कर दुनिया में कोई भी धर्म हितकारी नहीं । आज तेरा जन्म सफल हुवा । अब तुम्हैं जिस वातकी अभिलाषा हो शीघ्र कहो मैं अभी उसे पूर्ण करने के लिये तयार हूं। तथा इसप्रकार कहते कहते महाराजने रानी चेलनाको उत्तमोत्तम पदार्थ बनानेकी शीघ्र ही आज्ञा देदी ।
महाराजकी आज्ञा पाते ही रानी चेलनाने शीघ्र ही भोजन करना प्रारम्भ कर दिया । लाडू खाजे आदि उत्तमोत्तम पदार्थ तत्काल तयार होगये। जिससमय महाराजने देखा कि भोजन तयार है शीघ्र ही उन्होंने बड़े विनयसे गुरुओंको बुलावा भेजदिया । और राजमंदिर में उनके बैठनेके स्थानका शीघ्र प्रबन्ध भी करा दिया ।
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गुरुगण इसबातकी चिंता में बैठा ही था कि कव निमंत्रण आवे और कव हम राजमंदिर में भोजनार्थ चलें । ज्योंही निमंत्रण समाचार पहुंचा । शीत्रू ही सर्वोने अपने वस्त्र पहिने | और राजमंदिरकी ओर चलदिये ।
जिससमय राजमंदिरमें प्रवेशकरते रानी चेलनाने उन्हें देखा तो उनका बड़ा भारी सन्मान किया. उनके गुणोंकी प्रशं
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