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(१७० ) धर्मका पालन करने वाला है ? क्या उसकी वय हैं ? कैसी उसकी सौभाग्य विभूति है ? एवं कोंन कोंन गुण उत्तमतया उसमें मौजूद है ? राजकन्याओंके मुखस ऐसे वचन सुन कुमार अभयने मधुरवचनमें उत्तर दिया---
राज कन्याओ ! यदि आपको हमारे सविस्तर हाल जानने की इच्छा है तो आप ध्यान पूर्वक सुनें मैं कहता हूं। अनेक प्रकारके ग्राम पुर एवं वाग वगीचोंसे शोभित, ऊंचे ऊंचे जिनमंदिरोंसे व्याप्त, असंरव्याते मुनि एवं यतियोंका अनुपम विहार स्थान, देशतो हमारा मगधदेश है । मगधदेशमें एक राजगृह नगर है। जो राजगृहनगर बड़े २ सुवर्णमय कलशोंसे शोभित; अपनी उचाईसे आकाशको स्पर्श करने वाले, सूर्यके सामन देदीप्यभान अनेक धीनकोंके मंदिर एवं जिनमंदिरसे व्याप्त है । और जहांफी भूमि भांति भांतिके फलोंसे मनुष्योंके चित्त सदा आनंदित करती रहती है । उस राजगृहनगरके हम रहने वाले हैं । राजगृह नगरके स्वामी जो नीति पूर्वक प्रजा पालनकरनेवाले हैं महाराज श्रेणिक हैं । राजा श्रेणिक जैन धर्मके परम भक्त हैं । अभी उनकी अवस्था छोटी है। एवं अनेकगुणोंके भंडार हैं। राजकन्याओ ! हम लोग व्यापारी हैं। छोटीसी उम्रमें हम चारो ओरभूअंडल घूम चूके। हर एक कलामें नैपुण्य रखते हैं। हमने अनेक राजाओंको देखा किंतु जैसी जिनेंद्रकी भक्ति, रूप, गुण, तेज, महाराज
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