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कहो भाई । यह अ सुंदरी चेलना किस राजाकी तो पुत्रीं है ? किस देश एवं पुरका पालक वह राजा है ? क्या उसका नाम है ? यह कन्या हमैं मिलसकती है या नहीं? यदि मिलसकती है तो किस उपायसे मिलसकती है ? ये सब बातें खुलासा रीतिसे शीघ्र मुझे कहो । महाराज श्रेणिकके एस लालसा भरे बचन सुन भरतने उत्तर दिया ।
कृपानाथ ! यह कन्या राजा चेटककी है। राजाचेटक सिंधु देशमें विशालापुरी का पालन करनेवाला है । यह कन्या आप - को मिलतो सकती है किंतु राजा चेटकका यह प्रण है कि वह सिवाय जैनीके अपनी कन्या दूसरे राजाको नहीं देता । चेटक जैनधर्मका परम भक्त है । इसलिये यदि आप इसकन्याको लेना चाहते है तो आप उसके अनुकूल ही उपाय करें ।
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भरत के ऐसे वचन सुन महाराज, विचार सागर में गोता मारने लगे । वे सोचने लगे यदि राजा चेटकका यह प्रण हैं। कि जैनराजा के अतिरिक्त दूसरेको कन्या न देना तो यह यह कन्या हमैं मिलना कठिन है क्योंकि हम जैन नहीं । यदि युद्धमार्ग से इसके साथ जबरन विवाह किया जाय सो भी सथा अनुचित एवं नीति विरुद्ध हैं । और विवाह इसके साथ करना जरूरी है क्योंकि ऐसी सुंदरी स्त्री दूसरी जगह मिलने वाली नहीं । किंतु किस उपाय से यह कन्या मिलेगी ? यह कुछ ध्यान में नहीं आता । तथा ऐसा अपने मनमें विचार
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