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तथा कुमारकी रूपसंपत्ति उन्होंने देख यह भी निश्चय कर लिया कि यह कोई अवश्य राजकुमार है । यह ब्राह्मण बालक नहीं होसकता क्योंकि जितने भर बालक यहांपर हैं । सबमें तेजस्वी प्रतापी एवं राजलक्षणों से मंडित यही जान पड़ता है । उपस्थित बालकों में इतना तेज किसीके चेहरे पर नहीं जित - ना इस बालकके चेहरे पर दिखाई देता है । एवं किसी से यह भी निश्चयकर कि यह कुमार महाराज श्रोणिकका पुत्र अभय कुमार है । राजसेवकोंने नंदिग्राम जानेका विचार वहीं समाप्त कर दिया । वे लज्जित एवं आनंदित हो राजगृह की और ही लोट पड़े । और महाराजको नमस्कार कर कुमारअभयकी जो जो चेष्टा उन्होंने देखी थी सब कह सुनाई ।
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सेवकों द्वारा कुमार अभयका समस्त वृत्तांत सुन, उन्हें बुद्धि मान एवं रूपवान भी निश्चयकर, महाराज श्रेणिकको अति प्रसन्नता हुई । मारे आनंद के उनके नेत्रोंसे आनंदाश्रु झरने लगे । मुख कमलके समान विकसित होगया । तथा वे विचार करने लगे कि मेरा अनुमान कदापि असत्य नहीं हो सकता । मुझे दृढ़ विश्वास था । नंदिग्राम के ब्राह्मणोंकी बुद्धी ऐसी विशाल नहीं होसकती । जरूर उनके पास कोई न कोई चतुर मनुष्य होना चाहिये भला सिवाय कुमार अभयके इतनी बुद्धिकी तीक्ष्णता किसमें हो सकती है ? तथा क्षण एक ऐसा विचार कर उन्होंने कुमार अभयको बुलानेकेलिये कुछ राज
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