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सेवकोंको बुलाया । और उनको आज्ञा दी कि तुम अभी नंदिग्राम जाओ । और कमार अभयसे कहो कि महाराजने आपको बुलाया है । तथा यह भी कहना कि आपकलिये महाराजने यह भी आज्ञा दी है कि-कमार न तो मार्गसे आवे ।
और न उन्मार्गसे आवे । न दिनमें आवे । न रातमें आवे । भूखे भी न आवे । अफरे पेट भी न आवे । न किसी सवारीमें आवे । और न पैदल आवे । किंतु राजगृह नगर शीघ्र ही आवे ।
महाराज की आज्ञा पाते ही सेवक शीघ्र ही नंदिग्रामकी ओर चलदिये । एवं कुमारके पास पहुंच, उन्हें भाक्त पूर्वक नमस्कार कर महाराजका जो कुछ संदेशा था, सब कुमारको कह सुनाया ! ___अबके महाराजने कुमार अभयके ऊपर भी काठन संदेशा अटकाया है । और उन्हें राजगृह नगर बुलाया है । यह समाचार सारे नंदिग्राममें फैलगया । समाचार सुनते ही सम स्त ब्राह्मग हाहाकार करने लगे। भांति भांतिके संकल्प विकल्पोंने उनके चित्तको अपना स्थान बना लिया । क्षणे क्षणे अव उनके मनमें यह चिंता घूमने लगी कि अब हम किसी रीतिसे वच नहीं सकते । अव तक जो हमारे जीवनकी रक्षा हुई है, सो इसी कुमारकी असीम कृपासे हुई है । यदि यह कुमार न होता तो अब तक कवका हमारा विध्वंस होगया
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