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( १३२ ) सब ठंडे. ही खाये हैं। और ठंडे ही फल सुने हैं एक । दूसरे एक वृक्षपर गरम और ठंडे दो प्रकारके फल हों यह सर्वथा विरुद्ध है । इसलिये कुमार जो दो प्रकारके फल कह रहे हैं । सो इनका कथन सर्वथा अयुक्त जान पड़ता है । तथा क्षण एक ऐसा दृढ़ निश्चय कर, और कुमारको अब उत्तर देना जरूर है, यह समझ उन्होंने कहा। ____ महोदय कुमार ! हमैं आपके वचन अति प्रिय मालूम पड़ते हैं । कृपाकर लाइये हमैं ठंडे ही फल दीजिये।
राजसेवकोंके ये वचन सुन कुमारने कुछ फल तोड़े । और उन्हें आपसमें घिसकर चालूमें दूर पटक दिया । और कहदिया । देखो फल वे पड़े हैं । उठालो ।
कुमारकी आज्ञा पाते ही जिधर फल पड़े थे । राजसेवक उसो ओर दोड़े । ज्याही उन्होंने वालूसे फल उठाकर फूंकना चाहा त्योंही कमारने कहा । देखो ! फल हुशियारोसे फूकना। ये फल गरम हैं । जो विना विचारे फूंका तो तुम्हारी सव डाढ़ी मूंछ पजल जायगी। ___कुमारके ऐसे बचन सुनते ही राजसेवक अपने मनमें बड़े लज्जित हुवे । वे वार वार टकटकी लगाकर कुमारको और देखने लगे । कुमारको इस चतुरताको देखकर राजसेवकोंने निश्चय करलिया कि हो न हो यही सबमें चतुर जान पड़ता हैं ? महाराज की वातोंका उत्तर भी. इसीने दिया होगा ?
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