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जीवोंपर दयाकरनेवाले कुमार ! यह हमारा भयंकर विघ्न आपकी कृपासे ही शांत हुवा है । आपके सर्वोत्तम बुद्धिबलसे ही इस समय हमारी रक्षा हुई है । आपके प्रसादसे ही हम इससमय आनंदका अनुभव कर रहे हैं । आपने हमैं अमना समझ जीवन दान दिया है । यदि महाराजकी आज्ञाका पालन न होता तो नं मालूम महाराज हमारी क्या दुर्दशा करते - हमै क्या दंड देते । हे कृपानाथ कुमार ! हम आपके इस उपकारके बदले में क्या करैं । हम तो सर्वथा असमर्थ हैं । और आप समस्तलोकके विनाकारण बंधु है । हे कुमार ! जैसी आपके चित्तमें दया है । संसारमें वैसी दया कहीं नहीं जान पडती । हे महोदय ! आप संसारमें अलौकिक सज्जन हैं। आप मेघके समान हैं। क्योंकि जिसप्रकार मेघ परोपकारी, स्नेह (जल) युक्त, आर्द्र, एवं उन्नत, होते हैं उसीप्रकार आपभी परोपकारी हैं। समस्तजनोंपर प्रीतिके करने वाल हैं । आपका भी चित्त दया से भींगा हुआ है । और आप जगतमें पवित्र हैं । हे हमारे प्राणदाता कुमार ! आपकी सेवा में हमारी यह सविनय निवेदन है । जबतकराजाका कोप शांत न होमहाराज हमारे ऊपर संतुष्ट नहीं हों आप इस नगरको ही सुशोभित करें। आप neतक इस नगरसे कदापि न जांय । यदि आप यहांसे चले जायगें तो महाराज हमें कदापि यहां नहीं रहने देगें ।
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इधर तो नंदिनाथ एवं अन्य विप्रोंकी इस प्रार्थनाने. कु. मार
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