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( ९३ ) उन्होंने कुमारको न मालूम पड़े इसरीतिसे पांच हजार वलवान योधा कुमारके साथ भेजदिये । एवं पांच हजार सुभटोंके साथ कुमार श्रोणिकने राजगृह नगरकी ओर प्रन्थान करदिया । जिससमय वे मार्गमें जाने लगे उससमय उत्तमोत्तम फलोंके सूचक उन्हें अनेक शकन हुवे। और मार्गमें अनेक वन उपवनोंको निहारते हुवे कुमार श्रोणिक मगध देशके पास जा पहुंचे । ___कुमार श्रोणक मगध देशमें आगये यह समाचार सारे देशमें फैलगया । समस्त सामंत मंत्री एवं अन्यान्य देशवासी मनुप्य बड़े विनयभावसे कुमार श्रोणकके पास आये । और भक्ति पूर्वक नमस्कार किया। कुछ समय वहां ठहर कर प्रेम पूर्वक बार्तालाप कर कुमार फिर आगेको चल दिये । मेरु पर्वतके समान लंबे चौड़े हाथी, अनेक बड़े बड़े रथ, और पयादे कमारके पीछे पीछे चलने लगे । कुमारके आगमनके उत्सवमें सारा देश वाजोंकी आवाजसे गूंज उठा, एवं कुछ दिन और चलकर कुमार राजगृह नगरके निकट जा दाखिल हुवे ।
इधर राजा चिलाताको यह पता लगा कि अब श्रेणिक यहां आगये हैं। उनके साथ विशाल सेना है। समस्त देशवासी
और नगरवासी मनुष्य भी कुमार श्रोणकके ही अनुयायी हो गये हैं। नारे भय वहतो कपने लगाःतथा अब मैं लड़कर कुमार श्रेणिकसे विजय नहीं पातकता यह भले प्रकार सोच विचार कर अपनी कुछ संपत्ति लेकर किसी किली जा छिरा । उधर
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