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कि अपने बालकको रोता हुवा छोड़कर दूसरे बालकको ही गोदमें लेकर धरभगी । तथा कोई कोई स्त्री जो कि नितंबके भारसे सर्वथा चलनेके लिये असमर्थ थी उसने दूसरी स्त्रियोंके मुखसे ही कुमारकी तारीफ सुन अपनेको धन्य समझा । कोई वृद्धा जो कि चलनेके लिये सर्वथा असमर्थ थी दूसरी स्त्रियोंसे यह कहने लगी कि ऐ वेटा ! किसी रीतिसे मुझे भी कुमारके दर्शन करादे मैं तेरा यह उपकार कदापि नहीं भूलूंगी।तथा कोई कोई स्त्री तो कुमार को देख ऐसी मत्त हो गई कि कुमारके दर्शनकी फूलमें दूसरी स्त्रियों पर गिरने लगी और जिस ओर कुमारकी सवारी जारही थी वेसुध हो उसी ओर दोड़ने लगी । तथा किसी किसी स्त्रीको तो ऐसी दशा हो गई कि एक समय कुमारको देख घर आकर भी वह फिर कुमारके देखने के लिये धर भागी। अनेक उत्तम स्त्रियां तो कुमारको देख ऐसा कहने लगी कि संसारमें वह स्त्री धन्य है जिसने इस कुमारको जना है, और अपने स्तनोंका दूध पिलाया है। तथा कोई कोई ऐसा कहने लगो हे आलि ! यह बात सुननेमें आई है कि इन कुमारका विवाह वेणुतट नगरके सेठि इंद्रदत्तकी पुत्री नंदश्रीके साथ हो गया है संसारमें वह नंदश्री धन्य है । तथा कोई कोई यह भी कहने लगी कि कुमार श्रेणिकके संबंधसे रानी नंदश्रीके अभय कुमार नामका उत्तम पुत्र भी उत्पन्न हो गया है।इत्यादि पुरवासी स्त्रियोंके शब्द सुनते हुवे तथा पुरवासियों के मुखसे जय जय शब्दोंको भी सुनते हुवे कुमार श्रेणिक, लीली
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