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कुमारके इसप्रकार आनंद प्रद एवं मनोहर बचन सुन निपुणमती ने उत्तर दिया हे कुमार जिस सेठि इन्द्रदत्तके साथ आप आये हैं उसी सेठिको अपने रूपसे रतिको भी तिरस्कार करनेवाली सर्वोत्तम नंदनी नामकी पुत्री है। उस पुत्रीका कोठभाग, दोनों म्तनोंके भारसे अत्यंत कृश है। अतिशय कृश काटभागको रक्षार्थ उसके दो स्थून नितम्ब हैं. जोकि अत्यंत मनोहर हैं। भाते भांतिके कौशलों से अनेक स्त्रियांका विधाता ब्रह्माभी इस नंदश्रीकी रूस आदि संपदा देखकर इसके समान दूसरी किसी भी स्त्री को उत्तम नहीं मानता है। उसका मुख कामी जनाके चित्तरूपी रात्रिविकासी कमलोंको विकास करने वाला एवं समस्त अंधकारके नाश करने वाला पूर्णचंद्रमा है और वह अतिशय देदीप्यमान नखोंसे शोभित है। हेमार! उसी समस्त कामीजनोंके चित्तको हरण करनेवाली कुमारी नंदश्रीने, अपनी सुगंधिसे भ्रमरोंको लुभानेवाला, सर्वोत्तम, एवं आनंदका देनेवाला यह नखभर तेल मेरे द्वारा आपके लगानेके लिये भेजा है हे महाभाग ! जितनी जल्दी होसके इसको लगाकर आप मुखपूर्वक स्नानकरैं । तथा मेरे साथ अनेक प्रकारकी शोभाओंसे व्याप्त सेठि इंद्रदत्तके घर शीघ्र चलें।
जिससमय कुमारने निपुणवतीके बचन सुने और जब नखभर तेल देखा तो उनके मनमें गहरी चिंता होगई । वे मन ही मन यह कहने लगे कि यह न कुछ तेल है इसको सर्वा
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