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लिये बिचार करने लगे। ____उससमय उसी नगरके राजा वसुपालका ऊंचे ऊंचे दांतको धारणकरनेवाला एक मतवाला हाथी नगरसे बड़े झपाटेसे बाहिर निकला। तथा प्रत्येक घरके द्वारको तोड़ता हुवा, बहुतसे नगरके खंभोंको उखाड़ता हुवा, अनेकप्रकारके वृक्षोंको नीचे गिराता हुवा, उत्तमोत्तम लतामंडपोंको निमूल करता हुवा, अनेक सज्जन वीरों द्वारा रोकनपर भी नहीं रूकता हुवा, अपने चीत्कार से समस्तदिशाओंको बधिर करता हुवा, एवं अपनी सूड़को ऊपर उठा दिग्गजोंको भी मानों युद्धकरनकोलये ललकारता हुवा, और समस्त नगरको व्याकुल करता हुवा वह मत्त हाथी उसी नदीके ओर झपटा जहां कुमार बैठेथे । जिससमय पर्वतके समान विशाल, अति मत्त, अपनी ओर आता हुवा, वह भयंकर हाथी कुमारकी नजर पड़ा तो कुमार शघ्रिही उसके साथ युद्ध करनेके लिये तयार होगये । तथा उस मतवाले हाथीके सन्मुख जाकर अनेकप्रकारसे उसके साथ युद्ध कर, मारे मारे मुक्कोंके उसै मदरहित कर दिया । और निर्भयतापूर्वक कीडार्थ उसकी पीठपर चट सवार हो राज द्वारकी ओर चल दिये । ___ मतवाले हाथी पर बैठे हुवे कुमारको देखकर हाथीके कर्मोंसे भयभीत, कुमारका हाथीके साथ युद्ध देखने वाले, कुमारकी वीरतासे चकित, अनेक मनुष्य जय जय शब्द करने लगे । एवं परस्पर एक दूसरेसे यहभी कहने लगे-सेठि इंद्रदत्तके
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