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भलेप्रकार सेवित होनेपर भी राज्यमें अनेकप्रकारके उपद्रव करने प्रारंभ कर दिये। कभी तो वह विनाही अपराधके धनिकोंके धन जप्त करने लगा । और कभी प्रजाको अन्यप्रकारके भयंकर कष्ट पहुचाने लगा। जिनके आधारपर राज्य चल रहा था उन राजसेवकोंकी आजीविका भी उसने बंद करदी। राज्यमें इसप्रकार भयंकर आन्याय देख पुरवासी एवं देशवासी मनुष्य त्रस्त होने लगे । और खुले मैदान उनके मुखसे ये ही शब्द सुननेमें आने लगे-राजा चिलाती बड़ा भारी पापी है।अन्यायी है। और राज्य पालन करनेमें सर्वथा असमर्थ है । राजाका इस प्रकार नीच वर्ताव देख राजमंत्री भी दातोंमें उंगली दबाने लगे-राज्यको संभालनेके लिये उन्होंने अनेक उपाय सोचे किं तु कोई भी उयाय उनको कार्यकारी नजर न पड़ा । अंतमें विचार करते करते उन्हे कमार श्रेणिककी याद आई । याद आते ही चट उन्होने यह सलाह की-राजा चलाती पापी दुष्ट एवं राजनीतिसे सर्वथा अनभिज्ञ है । यह इतने विशालराज्यको चला नहीं सकता । इसलिये कमार श्रेणिकको यहां वुलाना चाहिये और किसी रीतिसे उन्हे मगधदेशका राजा बनाना चाहिये।
समस्त पुरवासी एवं मंत्री आदिक कुमारके गणोंसे भली मांति परिचित थे इसलिये यह उपाय सबको उत्तम मालूम हुवा। एवं तदनुसार एक दूत जोकि राज्यकार्यमें अति चतुरथा, शीघ्रही
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