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जमाई का पराक्रम आश्चर्य कारक है । रूप और नवयौवन भी बड़ाभारी प्रशंसनीय है । शक्तिभी लोकोत्तर मालूम पड़ती है। देखो जिस मत्त हार्थीको वलवानसे वलवानभी कोई मनुष्य नहीं जीतसकता था उस हाथी को इस कुमारने अपने बुद्धिवल
और पुण्यके प्रभावसे बातकी बात में जीतालिया। तथा इधर मनुष्य तो इस भांति पवित्र शब्दोंसे कुमारकी स्तुती करने लगे उधर गजसे भी अतिशय पराक्रमी कमारने अनेक प्रकारकी लीली पीली ध्वजाओंसे शोभित क्रीडापूर्वक नगरमें प्रवेश किया।
सुन्दर आकारके धारक असाधरण उत्तम गुणोंसे मंडित कुमार श्रेणिकको हाथी पर चढ़े हुवे देख नहाराज वसुपाल मनमें अति हर्षितहुवे । और बड़ी प्रीति एवं हर्षसे उन्होंने कुमारसे कहा।
हे वीरोंके शिरताज हे अनेक पुण्य फलोंके भोगने वाले!कुमार जिसबातकी तुम्हें इच्छा हो शीघ्र ही मुझे कहो हे उत्तमोत्तम गुणोंके भंडार कुमार ! शक्त्यनुसार मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण करूंगा। किंतु महाराजके संतोषभरे वचन सुनकर अन्य मनुष्यों द्वारा कुछ मागनेके लिये प्रेरित भी कुमारने लज्जा एवं अहंकारसे कुछ भी जबाव नहीं दिया महाराजके सामने वे चुपचाप ही खड़े रहे।
सेठि इन्द्रदत्त भी ये सब वातें देख रहेथे । उन्होंने शीघ्रही कुमारके मनके भावको समझ लिया और इस भांति महाराज
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