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शीघ्र ही राजा के समान संपत्तिके धारक इन्द्रदत्तने कुमारी के विवाहार्थ बड़े आनंदसे उद्योग किया । ____ कुमार कुमारीके विवाहका उत्सव नगरमें बड़े जोर शोरसे प्रारंभ हुवा समन्त दिशाओंको बधिर करने वाले घंटे बजने लगे, नगर अनेकप्रकारको ध्वजाओंसे व्याप्त, मनोहर तोरणों से शोभित, कल्याणको सूचन करनेवाले शुभ शब्दोंसे युक्त हो गया । उससमय भेरियों के बड़े बड़े शब्द होने लगे। शंख काहल अदि बाजे बजने लगे । नक्काड़ोंके शब्द भी उससमय खूब जोर शोरसे होने लगे समस्तजानों के सामने भांति भांति की शोभाओंसे मंडित कुमार कुमारीका विवाह मंडप प्रीतिऍक्क बनाया गया। वंदीगग कुमार श्रोणकके यशको मनोहर पद्योंमें रचनाकर गान करने लगे। कुमार श्रोणक और कुमारी नंदश्रीके विवाहके देखनेसे दर्शकजनोंको बचनागोचर आनदं हुवा । उन दोनोंके रूप देखनेसे दोनोंके गुणों पर मुग्ध दोनोंकी सबलोग मुक्तकंठ से तारीफ करने लगे। दंपती का रूप देख समन्त लोक इस भांति कहने लगा कि आश्चर्य कारी इनकी गति है तथा आश्चर्यकारी इनका रूप और मधुरवचन हैं ये सब बात पुर्व पुण्यसे प्राप्त हुई हैं । नंदश्रीको देखकर अनेक मनुष्य यह कहने लगे कि चन्द्रके समान कांतिको धारणकरनेवाला तो यह नंदी का मुख है । फूले कमलके समान इसके दोनों नेत्र है। और अत्यंत विस्तीर्ण
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