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मनुष्यको सर्वथा दुर्लभ हैं । और इसके दोनों स्तनोंके मध्यमें अत्यंत मनोहर, कामदेवरूपी ज्वरको दमन करनेवाली नदी है । इसके समस्त अंगोंकी ओर दृष्टि डालनेसे यही बात अनुभवमें आती है कि इसप्रकार सुन्दराकार वाली रमणीरत्न नतो कभी देखने में आई और न कभी सुनने में आई, और न आवेगी। ____ महाराज उपश्रेणिक इसप्रकार कन्याके स्वरूपकी उधेड बुनमें लगे थे कि इतने ही राजा यमदंड उनके पास आये
और उनसे महाराज उपश्रेणिकने कहा कि हे भिल्लोंके स्वामी यमदंड यह तुह्मारी तिलकवती नामकी कन्या नानाप्रकारके गुणोंकी खानि एवं अनेक प्रकारके सुखोंको देनेवाली है आप इसकन्याको मुझे प्रदान कीजिये क्योंकि मेरा विश्वास है कि मुझे इससे संसारमें सुख मिलसकता है। ____ महाराज उपश्रेणिकके इसप्रकारके वचनोंको सुनकर राजा यमदंडने इस विनयभावसे कहा कि हे प्रभो कहां तो आप समस्त मगधदेशके प्रतिपालक ? और कहां मेरी अत्यंत तुच्छ यह कन्या ? हे महाराज देवांगनाओंके समान अतिशय रूप और सौभग्यकी खानि आपके अनेक रानियां हैं। तथा कुमार श्रेणिकको आदिले आपके अनेकही पुत्र हैं जो अतिशय वलवान, धीर और समस्त पृथ्वीतलकी भलेप्रकार रक्षा करनेवाले हैं । इसलिये अत्यंत तुच्छ
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