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आगे कछही दूरजाकर उन्होंने एक अत्यंतसुंदर पुरवासी मनुष्य अपनी स्त्रीको मारामार मारते हुवे देखा देखकर फिरि कुमारश्रेणिकने सेठि इन्द्रदत्तसे प्रश्नकिया कि हेष्टिन बताइये कि जिसस्त्रीको यह सुंदरमनुष्य माररहा है वह स्त्री बंधीहुई है अथवा खुलीहुई कमारके इसप्रकारके वचन सुनकर इन्द्रदत्त ने विचारा कि यह कुमार अवश्य पागल है इसमें किसी प्रकारका संदेह नहीं। ____इसप्रकार अपने मनमें कुमारके पागलपनेका दृढविश्वास कर फिरभी दोनों आगेको बढ़े आगे चलते चलते उन्होंने जिसको मनुष्य जलानेकेलिये लेजारहथे एक मरे हुवे मनुष्यको देखा। मृतमनुष्यको देखकर फिरभी कुमारश्रेणिकको शंकाहुई
और शीघ्रही उन्होंने सेठि इद्रदत्तसे धरपूछा कि हेमाम मुझै शीघ्र वतावें कि यह मुर्दा आज मरा है कि पहिले का मराहुवा है।
आगे बढ़कर कुमार श्रेणिकने भलेप्रकार पके हुवे फलों से रम्य, फलोंकी उत्तमसुगंधिसे जिसके ऊपर भोरा गुंजार शब्द कर रहे हैं। जो जलसे भीगे हुवे फलोंसे नीचेको नब रहा है एक उत्तम शालिक्षेत्र देखा। शालिक्षेत्र देखकर कुमार ने फिर सेठि इन्द्रदतसे प्रश्न किया कि हेमाम शीघू बताइये इसक्षेत्रका मालिक इसक्षेत्रके फलोंको खावेगा कि खाचुका ? ।
आगे चलकर किसी एक नवीन क्षेत्रमै हल चलाता हुवा एक किसान मिला उसको देखकर फिर कुमार श्रेणिकने प्रश्न किया
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