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माको छोड़कर तू कहां चलागया ? जो वन अनेकप्रकारके भयंकर सिंह व्याघ्रोंसे भराहुआ है उस बनमें तू कहांपर होगा। हाय पूर्वभवमें मैंने ऐसा कोनसा धोरपाप किया था ? जिससे इस भवमें मुझे ऐसे उत्तम पुत्ररूपी रत्नका वियोग सहना पड़ा। हाय क्या पूर्वभवमें मैंने किसी मातासे पुत्रका वियोग करदिया था ? । अथवा श्रीजिनेंद्र भगवानकी आज्ञाका मैंने उल्लंघनकिया था ?। वा भैने अपने शीलका मर्दन किया थाव्यभिचारका आश्रय किया था। अथवा मैंने किसी तालावका पुल नष्टकिया था। वा मलिनजलसे मैंने वस्त्र धोये थे । किंवा अग्निसे मैंने किसी उत्तम वनको भम्म किया था ? वा मैंने ब्रतका भंग करदिया था ? अथवा मैंने रातमें भोजन किया था ? अथवा मुझसे किसी दिगम्बर मुनिकी निंदा होगई थी ? किं वा मैंने किसीसे द्रोह किया था? वा परके बचनकी मैंने अवज्ञाकरदीथी ? अथवा मैंने इसमवमें पाप किया है ? जिससे मुझै ऐसे उत्तम पुत्ररत्नसे जुदा होना पड़ा। इसप्रकार वारंवार कुमार श्रेणिककी माता इन्द्राणी का करुणाजनक भयंकर रुदन सुनकर समस्त नगरमें हाहाकार मचगया । समस्त पुरवासी लोग करुणा जनकस्वरसे कुमार श्रेणिककोलिये रोनेलगे और परस्परमें कहने लगे किं ____ राजाने जो कुमारको नगरसे निकालदिया है सो अज्ञानसे
ही निकाला है क्योंकि बड़े खेदकी बात है कि कुमार श्रेणिक | तो अद्वितीयभाग्यवान सर्वथा राज्यके योग्य, अद्वितीय दाता।
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