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( ३१ ) मार्गमें अनेकप्रकार वन उपवनोंकी शोभाओंको देखते राजग्रहनगरके समीप आ पहुंचे । महाराज उपश्रेणिकके आनेका समाचार सारे नगरमें फैलगया । महाराज उपश्रेणिकके शुभागमन सुनते ही समस्त नगरनिवासी मनुष्य, राजसेवक एवं महाराज के समस्त पुत्र, अपनेको धन्य और पुण्यात्मासमझकर, उनके दर्शनोंकलिये अतिशय लालायित होकर शीघ्रही उनके सामने स्वागतकेलिये आये और आकर विनय पूर्वक महाराजके चरणों को नमस्कार किया । चिरकालसे महाराजके वियोगसे दुःखित उनके दर्शन से संतुष्टहो समस्तजन उपश्रेणिक महाराजकी और प्रेमपूर्वक टकटकी लगाकर देखने लगे और अतिशय प्रेमपूर्वक वार्तालापकरते हुवे उन लोगोंने कुछ समय तक वही ठहरकर पीछे महाराजसे नगरमें प्रवेश करनेके लिये प्रार्थनाकी । तथा महाराजके चलने पर समस्त नगर निवासी जनोंने महाराजके पीछे पीछे राजग्रह नगरकी ओर प्रस्थान किया । ___महाराज उपश्रेणिकके नगरमें प्रवेश करते ही उनके शुभागमनके अपलक्ष अतिशय उत्सव मनाया गया । पटह शंख, काहल, दुंदुभि, आदि मनोहर बाजे बाजने लगे, तथा उत्तमोत्तम हावभावोंके दिखानेमें प्रवीण, नृत्यकलामें अतिचतुर देवांगनाओंके मदको चूर करनेवाली, और अति सुंदर वेश्यायें अधिक आनंद नृत्यकरनेलगी।महाराज उपश्रेणिक बहुत दिनोंकवाद नगरके देखनेसे अति आनंदित हुये और सर्वागसुदरी महाराणी
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