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लिये अनेक उपाय मोजद हैं उसकी शीघ्र ही निवृत्ति हो सकती हैं । यदि आप इससमय उसको नहीं बतलायेंगे तो ठीक नहीं, क्योंकि राजाके चिंताग्रस्तहोनेसे पुरवासीमंत्री आदिक सवही चिताग्रस्त होजाते हैं उनको भी दुःख उठाना पड़ता है क्योंकि यथा राजायथा प्रजा अर्थात् जिस प्रकारका राजा हुवाकरता है उसकी प्रजाभी उसी प्रकारकी हुआकरती है । इसप्रकार अत्यंत बुद्धिमान सुमतिनामक मंत्रीकी इस बातको सुन महाराज उपश्रेणिक वोले कि हे सुमते मुझै देश आदि अथवा पुत्र आदिकी ओरसे कुछ भी चिंता नहीं है, किंतु चिंता मुझे इसीबातकी है कि मैं इस राज्यको किस पुत्रको प्रदान करूं। मंत्रीने उत्तर दिया । हे अत्यंत बुद्धिमान महाराज आपका सुयोग्य पुत्र कुमार श्रेणिक हैं उसीको वेधड़क राज्यदेदीजिये । मंत्रीकी इसबातको मुनकर महाराज उपश्रेणिकने कहा हे मंत्रिन् जिस समय मेरे शत्रुद्वारा भेजेहुवे घोड़ा ने मुझै वनमें गढ़े पटकदिया था उससमय यमदंड नामक मिल्लराजाने वनमें मेरी सेवाकी थी, तथा उसकी पुत्री तिलकवतीने अपनी अतुलनीय सेवासे एकतरह मुझै पुनः जीवितकिया था । अकस्मात उसी पुत्रीके साथ मेरा विवाहहोगया। विवाह के समय तिलकवती के पिताने यह मुझसे कौल करलिया था कि, यदि आप इस पुत्रीके साथ अपना विवाहकरनाचाहते हैं तो मुझे यह बचन
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