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द्रव्यानुयोग-(२)
१०. सरीर-दारप. पुलाए णं भंते ! कइसु सरीरेसु होज्जा? उ. गोयमा ! तिसु ओरालिय-तेया-कम्मएसु होज्जा, प. बउसे णं भंते ! कइसु सरीरेसु होज्जा? उ. गोयमा ! तिसुवा, चउसु वा होज्जा, तिसु होज्जमाणे-तिसु ओरालिय-तेया-कम्मएसु होज्जा, चउसु होज्जमाणे-चउसु ओरालिय-वेउव्विय-तेयाकम्मएसु होज्जा।
एवं पडिसेवणाकुसीले वि। । प. कसायकुसीले णं भंते ! कइसु सरीरेसु होज्जा? उ. गोयमा ! तिसुवा, चउसुवा, पंचसु वा होज्जा,
तिसु होज्जमाणे-तिसु ओरालिय-तेया-कम्मएसु होज्जा, चउसु होज्जमाणे-चउसु ओरालिय-वेउव्विय-तेयाकम्मएसु होज्जा। पंचसु होज्जमाणे-पंचसु ओरालिय-वेउव्विय - आहारगतेया - कम्मएसु होज्जा,
नियंठे, सिणाए य जहा पुलाओ। ११. खेत्त-दारप. पुलाए णं भंते ! कम्मभूमिए होज्जा, अकम्मभूमिए
होज्जा? उ. गोयमा ! जम्मणं-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमिए होज्जा, नो
अकम्मभूमिए होज्जा। प. बउसे णं भंते ! किं कम्मभूमिए होज्जा, अकम्मभूमिए
होज्जा? गोयमा ! जम्मणं-संतिभावं पडुच्च-कम्मभूमिए होज्जा, नो अकम्मभूमिए होज्जा, साहरणं पडुच्च-कम्मभूमिए वा होज्जा, अकम्मभूमिए वा होज्जा,
एवं जाव सिणाए। १२. काल-दारंप. पुलाए णं भंते ! किं ओसप्पिणिकाले होज्जा, उस्सप्पिणि
काले होज्जा, नो ओसप्पिणी नो उस्सप्पिणिकाले होज्जा?
१०. शरीर-द्वारप्र. भन्ते ! पुलाक के कितने शरीर होते हैं ? उ. गौतम ! औदारिक, तैजस् और कार्मण ये तीन शरीर होते हैं। प्र. भन्ते ! बकुश के कितने शरीर होते हैं? उ. गौतम ! बकुश के तीन या चार शरीर होते हैं।
तीन हों तो-१. औदारिक, २. तैजस्, ३. कार्मण होते हैं। चार हों तो-१. औदारिक, २. वैक्रिय, ३. तैजस और ४. कार्मण होते हैं।
प्रतिसेवनाकुशील का कथन भी इसी प्रकार है। प्र. भन्ते ! कषायकुशील के कितने शरीर होते हैं ? उ. गौतम ! तीन, चार या पांच शरीर होते हैं।
तीन हों तो-१. औदारिक, २. तैजस् और ३. कार्मण चार हों तो-१. औदारिक, २. वैक्रिय, ३. तेजस् और ४. कार्मण। पांच हों तो-१. औदारिक, २. वैक्रिय, ३. आहारक, ४. तेजस् और ५. कार्मण।
निर्ग्रन्थ और स्नातक का कथन पुलाक के समान है। ११. क्षेत्र-द्वारप्र. भन्ते ! पुलाक क्या कर्मभूमि में होता है या अकर्मभूमि में
होता है? उ. गौतम ! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा कर्मभूमि में ही होता
है, अकर्मभूमि में नहीं होता है। प्र. भन्ते ! बकुश क्या कर्मभूमि में होता है या अकर्मभूमि में
होता है? उ. गौतम ! जन्म और सद्भाव की अपेक्षा-कर्मभूमि में होता है,
अकर्मभूमि में नहीं होता है। साहरण की अपेक्षा-कर्मभूमि में भी होता है और अकर्मभूमि में भी होता है।
इसी प्रकार स्नातक पर्यन्त जानना चाहिए। १२. काल-द्वारप्र. भन्ते ! पुलाक क्या अवसर्पिणी काल में होता है, उत्सर्पिणी
काल में होता है या नो अवसर्पिणी नो उत्सर्पिणी काल में
होता है ? उ. गौतम ! अवसर्पिणी काल में भी होता है, उत्सर्पिणी काल में
भी होता है और नो अवसर्पिणी नो उत्सर्पिणी काल में भी
होता है। प्र. यदि अवसर्पिणी काल में होता है तो क्या
१. सुसम-सुसमा काल में होता है, २. सुसमा काल में होता है, ३. सुसम-दुसमाकाल में होता है, ४. दुसम-सुसमा काल में होता है,
उ. गोयमा ! ओसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणि काले वा
होज्जा, नो ओसप्पिणि नो उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा,
प. जइ ओसप्पिणिकाले होज्जा, किं
१. सुसम-सुसमा काले होज्जा, २. सुसमा काले होज्जा, ३. सुसम-दुस्समा काले होज्जा, ४. दुस्सम-सुसमा काले होज्जा,