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जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्रे
मूले बारस जोयणाई विक्खभेणं' मूले- मूलप्रदेशे द्वादशयोजनानि विष्कम्भेण, 'मज्झे अठ जोयणाई विक्खंभेणं' मध्ये अष्ट योजनानि विष्कम्भेण 'उपिं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं' उपरि चत्वारि योजनानि विष्कम्भेण उपलक्षणत्वाद् मूले मध्ये उपरि च आयाम प्रमाणमपि तथैव विज्ञेयम् समवृत्तस्यायामविष्कम्भयोः साम्यादिति । तथा 'मूले साइरेगाई' मूले सातिरेकाणि किञ्चित्प्रदेशाधिकाणि 'सत्ततीसं जोयणाई परिक्खेवेणं' सप्तत्रिंशतं योजनानि परिक्षेपेण - परिधिना, 'मज्झे' मध्ये - मध्यदेश भागे 'साइरेगाई पणवीसं' सातिरेकाणि पञ्चविंशतिं - पञ्चविंशतिसंख्यानि 'जोयणाई परि क्खेवेणं' योजनानि परिक्षेपेण 'उप' उपरि- ऊर्ध्वदेशे 'साइरेगाई बारस जोयणाई परिक्खेवेणं' सातिरेकाणि द्वादश योजनानि परिक्षेपेण-परिधिना ।
सण्हे, जाव पडिरूवे"
तथा 'मूले वित्थिण्णे' मूले विस्तीर्णो 'मज्झे संक्खित्ते' मध्ये संक्षिप्तः 'उपितणुए' उपरि तनुकः अत एव 'गोपुच्छसंठाणसंठिए गोपुच्छसंस्थानसंस्थितः, तथा 'सव्वजंबुणयामए' सर्व जम्बूनदमयः सर्वात्मना जम्बूनदाख्यस्वर्णविशेषमय : 'अच्छे स "मूळे बारस जोयणाई चिक्खंभेणं, मज्झे अट्ठजोयणाई विक्खंभेणं, उपि चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं" मूल में इसका विष्कम्भ - विस्तार - बारह योजन का है मध्य में इसका विस्तार आठ योजन का है और ऊपर में इसका विस्तार चार योजन का है "मूळे साईरेगाई सत्ततीसं जोयणाई परिक्खेवेणं' मज्झे साइरेगाईं पणवोसं जोणाईं परिक्खेवेणं, उपि साइरेगाई बारस जोयणाई परिक्खेवेणं" मूल में इसको परिधि कुछ अधिक ७ सात योजन की है। मध्य मे इसकी परिधि कुछ अधिक २५ पचीस योजन कहि गई है और ऊपर में इसकी परिधि कुछ अधिक १२ बारह योजन की है । इस तरह यह ऋषम कूट पर्वत " मूले वित्थिन्ने मझे संखित्ते उपिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वजंबूणयामए अच्छे, मूल में विस्तीर्ण मध्य में संकुचित और ऊपर में पतला होगया है अतएव गाय को पूछ का जैसा संस्थान होता है वैसा हि इसका संस्थान होगया है यह पर्वत सर्वात्मना जाम्बूनद स्वर्णका बना हुआ है और अच्छ से लेकर प्रतिरूप तक के विशेषणों वाला है 'मूले बारस जोयणाई विक्खमेण मज्झे अट्टजोयणाइं विक्खेमेण उपि चत्तारि जोयणाई विक्खमेण " भूसमां माने। विष्णुंभ- विस्तार भार थोक्न भेटलो छे, मध्यमां मानो વિસ્તાર આઠ ચેાજન જેટલેા છે. અને ઉપરમાં આના વિસ્તાર ચાર ચાજન જેટલે છે. "मूले साइरेगाई सत्ततोस जोयणाई परिक्खेवेण मज्झे साइरेगाइ पणवीसं जोयणाइ परिक्खेवेण उपि साइरेगाई बारसजोयणारं परिक्खेवेण” भूमां यानी परिधि અધિક ૨૫ યેાજન જેટલી છે. અને ઉપરમાં એની પિરિધ કઈક અધિક ૧૨ ચેાજન જેટલી छे. या प्रभाछे या ऋषलट पर्यंत 'मूले वित्थिन्ने मज्झे संखित्ते, उपि तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सत्र जम्बू गयामप अच्छे सन्हे जाव पडिरूत्रे" भूसमां मध्यमां સંકુચિત અને ઉપરમાં પાતળા થઈ ગયા છે. એથી ગાયના પૂછડાનુ' જેવું સસ્થાન હોય ઢે તેવું આન' સંસ્થાન થઈ ગયુ` છે. આ પર્યંત સર્વાત્મના જામ્બૂનઃ-સ્વર્ણ નિર્મિત છે
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