Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 747
________________ प्रकाशिका टीका ० ३ वक्षस्कारः सू० १७ उत्तरार्द्ध भरत विजेतव्यजन स्वरूपनिरूपणम् ७३३ बहुजायरूवरयया' बहुधनबहुजातरूपरजताः, तत्र बहुप्रभूतं धनम् गणिमधरिममेयपरिच्छेद्यशत् चतुर्विधम्, जातरू रजतानि वर्णरूप्यानि च येषां ते तथा 'आओगओगसंपत्ता' आयोग प्रयोगसंप्रयुक्ताः, तत्र आयोगः - द्विगुणादि वृद्धयर्थं प्रदानं प्रयोगश्च कचान्तरं तौ संप्रयुक्तौ व्यापारितौ यैस्ने तथा 'बिच्छडियपउरभत्तपाणा विच्छर्दितप्रचुर भक्तपानाः, तत्र विच्छर्दिते त्यते बहुतनभोजनावशेषतया विच्छर्दितवती विभूतिमती विविधमक्ष्यभोज्य चोष्य ह्यपेयाहार भेदयुक्ततया प्रचुरे भक्तपाने येषां ते तथा यद्वा विच्छर्दिते- सञ्जातविच्छदै सविस्तारे बहुप्रकारत्वात् प्रचुरे प्रभूते भक्तपाने अन्नपानीये येषां ते तथा, 'बहुदासोदास गोनहिसग वे गप्प भूया' बहुदासी दासगोमहिषroseभूतः, तत्र बहवो दासीदासाः येषां ते तथा गो महिषाश्च प्रसिद्धाः गवेलकाः उरभ्राः एते प्रभूता येषां ते तथा अत्र पदद्वयस्य कर्मधारयः 'बहुजणस्स अपरिभूया' बहुजन अपरिभूताः - व्याप्ताः सूत्रे षष्ठो आर्षत्वात् 'खरा' शूराः प्रतिज्ञान निर्वहणे दाने वा 'वीरा' वीराः संग्रामे 'विक्कता' विक्रान्ताः - भूमण्डलाक्रमणसमर्थाः 'विच्छिण्णनायरूवरयया), गणिमधरीम, मेय, और परिच्छेय के भेद से चार प्रकार के धन से ये युक्त श्रेष्ठवर्ण एवं चांदी के ये मालीक थे (आओगपओगसंपउत्ता) आयोग में धन संपत्ति आदि के बढ़ाने में एवं अनेक कलाओ में ये विशेष पटु थे (विछड्डियपउरभत्तपाणा ) इनके यहां इतने अधिक आदमी भोजनकरते थे कि उनके उच्छिष्ट प्रचुर मात्रा में भक्तपान बचा रहता था. (बहु दासी दास गोमहिसगमेलगप्पभूआ बहुजणस्स अपरिभूया ) इनके पास घर पर काम करने वा अनेकदास एवं दासियां थो तथा अनेक गायें एवं अनेक महिषियां में से और मेड़े थे इनका अनेक जन मिलकर भी पराभव करने में समर्थ नहीं हो सकते ऐसे ये बलिष्टये (सूरा, वीरा, • विवकता, विच्छिण्णवि उलबलवाइण ) ये प्रतिज्ञात अर्थ के निर्वाह करने में शूर थे एवं दानदेने में अथवा संग्राम में ये वीर थे विक्रान्त - भूमंडल के आक्रमणकरने में ये समर्थ थे इनका - ભેદથી ચાર પ્રકારના ધનથી તેમે યુક્ત હતા શ્રેષ્ઠ સુવર્ણ તેમજ ચાંદીના એ માલિક હતા. (माओोगप योगसंपत्ता आयोगमा धनसंपत्ति वगेरेनी वृद्धियां ते अने - मां थे । विशेष टु इत (विछड्डिय पउरभत्तपाणा ) मेमने त्यां भेटला भषां ઢાકા ભેજત કરતા હતા કે તેમના ઉચ્છિષ્ટમાં પ્રચુર માત્રામાં ભક્તપાન વધતું હતું. (बहुदासीदासगोमहिसगवेल गप्पभ्या बहुमणस्स अपरिभूया) भनी पासे घेर भ કરનારાઓમાં અનેક દાસેા તેમજ અનેક દાસીએ હતી. અનેક ગાયે, મીષીઓ એટલે ભેસે। હતી. અને ઘેટાએ। હતા. અનેક લેાકેા મળીને પણુ એમને હરાવી શકતા નહાતા. सेवा से बोडी जणराजा $11. (सूरा वीरा विकता विच्छिष्णवि उलबलवाहणा) येथे। પ્રતિજ્ઞાત અને નિર્વાડ કરવા માટે શૂર હતા. દાન કરવામાં અથવા સગ્રામમાં એ લેાકા વીર હતા. વિક્રાંત ભૂમંડળ પર આક્રમણ કરવામાં એએ સમ હતા. એમની સેના અને गवाह ३५ वाहुन दु:मधी अनाडु वाथी अतिवियुद्ध ता. (बहुसु समर संपरापसु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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