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प्रकाशिका टीकातृ वक्षस्कारः सू० ४ भरतराज्ञः गमनानन्तरं तदनुचरकार्य निरूपणम् ५५५ द्वान्येव तानि हस्तगतानि यासां तास्तथा (जावको महत्थगयाओ) यावत् लोमहस्तगताः आबद्धमयूरपिच्छहस्तगताः, इत्यर्थः (अप्पेगइयाओ सीहासणहत्थगयाओ) अप्येकिकाः सिंहासन हस्तगता (छत्तचामरहत्थगयाओ) अप्येकिकाः छत्रचामर हस्तगताः (दिल्लसमुग्गय हत्थगयाओ) तथा अप्येकिकाः तैल समुद्राः तैल भाजन विशेषास्तद्धस्तगताः अत्र समुद्रक सङ्ग्रहमाह
तेल्ले कोट्ठे समुग्गे पत्ते चोएअ तगरमेला य हर हिंगुल मणोसिला सासवसमुग्गे ||१|| तैलं कोष्ट समुद्रकः पत्रं चोयं च तगरम् एला च ।
हरिताल हिङ्गुलकं मनः शिला सर्पपसमुद्गः ॥१॥
एवम् कोष्ठसमुद्गाः कोष्ठभाजन विशेषाः तद्धस्तगताः, एवं पत्रसमुद्गक चोय समुद्गक हस्तगताः तगरसमुद्रकहस्तगताः, एलासमुद्ग कहस्तगताः,
हस्तगताः,
में लोम हस्तक थे- मयूर के पिच्छो को बनी हुइ मयूरपिच्छिकाएँ थी किन्हीं दासियों के हाथ में पुष्पपटल - पुष्प समूह - था बाकी के इस सूत्रगत पद सुगम है । ( जाव लोमहत्थगयाओ) तथा कितनी दासियां ऐसी थी कि जिनके हाथ में यावत् आबद्ध मयूरपिच्छो की पोटलियां थी (अप्पेगइयाओ सीहा सणहत्थगयाओ ) कितनीक दासियां ऐसी थी कि जिनके हाथ में सिंहासन था. ( छत्तचामरहत्थगयाओ ) कितनोक दासियां ऐसी थी कि जिनके हाथ में छत्र, चमर ये दोनो वर एं थी. ( तिल्लसमुग्गयहत्थगयाओ ) कितनी दासियां ऐसी थी कि जिनके हाथ में तेल के रखने का पात्र विशेष था समुद्र कद का अर्थ पात्र विशेष है. का संग्रह इस गाथा द्वारा इस प्रकार से कहा गया है।
समुद्रक
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तेल्ले, कोटुसमुग्गे पत्ते चोए अ तगर मेलाय | हरिआ हिंगुलिए मणोसिला सासवसमुग्गे ॥ १ ॥
इस
के कितनी दासियों के हाथ में कोष्ठसमुद्र थे, कितनीक दासियों के हाथ में अनुसार पत्र समुद्र थे, कितनीक दासियों के हाथ में चोय समुद्रक थे, कितनीक दासियों के हाथ में કૈાથી નિમિ`ત મયૂર પિચ્છિકા હતી કેટલીક દાસીએના હાથેામાં પુષ્પપટલેા-પુષ્પ સમૂહ હતા. આ સૂત્રના શેષ પદોની વ્યાખ્યા સરલ छे. (जाव लोमहत्थगयाओ) तेमन डेटली દાસ એ એવી હતી કે જેમના હાથેામાં યાવત આખદ્ધ મયૂર પિછે.ની પાટલીઓ હતી. ( अपेगइयाओ सीहासणहत्थगयाओ) डेटसी सीओ खेत्री इती नेमना हाथामा सिहासन इता तथा (छत्तवामर हत्थगयाओ) डेटसी हासी वीडती है मना हाथाभा छत्र, याभर से मन्ने वस्तुओ हुती. (तिल्लसमग्गय हत्थगयाओ) डेटसी हासी थे। मे કે જેમના હાથેામાં તેલ ભરવાના પાત્ર વિશેષ હા. મમુગ્ગુ' શબ્દને અથ પાત્ર વિશેષ થાય છે. સમુદ્બક'ને સગ્રહુ આ ગાથા વડે આ પ્રમણે સ્પષ્ટ કરવાં મઆવેલ છે. तेल्ले, कोट्ठसमुग्गे पत्ते चोप अ तगर मेलाय । हरिआ हिंगुलिप मणोसिला सासत्रसमुग्गे ॥ १ ॥
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